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ऐसे ही नहीं बनी योजना आयोग को खत्म करने की योजना, ज़‍िम्मेदार हैं ये 5 कारण

By Mayank
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[मयंक दीक्ष‍ित] बीते दिनों सवतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम मोदी ने योजना आयोग के न्यूनतम महत्व पर स्पष्ट संदेश दिया था। इतिहास में जाएं तो 1930 में बुनियादी आर्थिक योजनाएं वैधानिक रूप से बननी शुरु हुईं थीं।

सर्वप्रथम सरकार ने औपचारिक रूप से एक कार्य योजना बोर्ड का गठन भी किया, जिसने 1944 से 1946 तक कार्य किया। दिग्गज सदस्यों, अर्थशास्त्र‍ियों ने 1944-1946 तक 3 विकास योजनाएं बनाईं।

स्थायी तौर पर योजना आयोग का गठन गठन 15 मार्च 1950 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता मे किया गया। तब से अब तक इस आयोग ने प्रमुख-कम प्रमुख कामों को अंजाम दिया। नई सरकार के एजेंडे में शुरु से ही इस आयोग को महत्वहीन प्रोजेक्ट किया जाने लगा था। जानें क्या रहे कारण-

काम में नि‍ष्क्र‍िय, नाम में सक्रिय

काम में नि‍ष्क्र‍िय, नाम में सक्रिय

नई सरकार बनने के बाद से ही योजना आयोग की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। ढाई माह से ज्‍यादा के कार्यकाल के दौरान योजना आयोग निष्क्रिय रहा। मॉन्टेक सिंह अहलुवालिया के स्तीफे के बाद किसी की नियुक्ति नहीं की गई।

पुराना है आयोग, चाहिए रिप्लेसमेंट

पुराना है आयोग, चाहिए रिप्लेसमेंट

नरेंद्र मोदी मॉडल के मुताबिक आज के युग में योजना आयोग जैसी संस्था की प्रासंगिकता खत्म हो चुकी है और मौजूदा चुनौतियों का सामना करने में योजना आयोग को रिप्लेसमेंट की ज़रूरत है।

बनाने वाले ने बिगाड़ी बात

बनाने वाले ने बिगाड़ी बात

प्लानिंग कमिशन पर 'प्लानिंग' उसी वक्त होने लगी थी जब केंद्र सरकार ने फ्लैगशि‍प स्‍कीमों की उपयोगिता की समीक्षा करने के लि‍ए इंडि‍पेंडेंट इवैल्‍युएशन ऑफि‍स (आईईओ) बनाया था। दरअसलआईईओ खुद योजना आयोग से संबद्ध रहता है, लेकि‍न मोदी सरकार बनने के 3 दि‍न बाद ही उसने स्‍वयं योजना आयोग को खत्‍म करने का सुझाव दे दि‍या। सुझाव ये रहा कि इसे रि‍फॉर्म एंड सॉल्‍यूशन कमीशन से रिप्लेस करना चाहिए।

कार्यकाल का असर

कार्यकाल का असर

दरअसल कांग्रेस के लंबे कार्यकाल के दौरान अक्सर कई योजनाएं भ्रष्टाचार के मामलों तले दबतीं चलीं गईं। जब-जब सरकारी प्लान की समीक्षा का वक्त आया तब-तब भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त ने आयोग की साख को कमज़ोर किया।

गरीबी का विवादित आंकड़ा

गरीबी का विवादित आंकड़ा

योजना के प्रत्येक चरण के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक मशीनरी का निर्धारण करना प्रमुख तौर पर आयोग के जिम्मे था। उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने जब गरीबी का विवादित आंकड़ा रखा तो देश के साथ-साथ आयेाग को भी आघात पहुंचा।

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English summary
Reasons of Why Planning Commission is to quit by Narendra Modi
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