Ramadan 2019: 7 मई को होगा पहला रोजा, जानिए कुछ खास बातें
नई दिल्ली। रमजान उल मुबारक का चांद 5 मई यानी कि रविवार को नजर नहीं आया, जिसकी वजह से रमजान का पहला रोजा मंगलवार 7 मई से रखा जाएगा। यह घोषणा दारुल कजा इमारत-ए-शरिया फुलवारीशरीफ के काजी-ए-शरियत मौलाना अब्दुल जलील कासमी ने दी है। मरकजी मजलिस रूयत हेलाल खानकाह मुजीबिया फुलवारीशरीफ और बिहार रियासत रूयत हेलाल कमेटी ने भी सूचना दी है कि देश के किसी कोने से चांद देखे जाने की कोई सूचना नहीं मिली है।
7 मई को होगा पहला रोजा,
आपको बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर का यह महीना त्याग, सेवा, समर्पण और भक्ति का मानक है, इस्लाम में रमज़ान या रमदान को बेहद पवित्र माना जाता है, यह इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना है, रमजान को कुरान के जश्न का भी मौका माना जाता है। इस दौरान सभी इस्लामिक लोग रोजा रखते हैं।
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रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं
मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जो रोजे रखता हैं उसे ही जन्नत नसीब होती है।पैंगम्बर इस्लाम के मुताबिक रमजान महीने का पहला अशरा (दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का है। यह महीने प्रेम और अपने ऊपर संयम रखने का मानक है इसलिए कहा गया है कि हर मुसलमान को रोजा जरूर रखना चाहिए।
नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
इस दौरान केवल अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और सहरी और इफ्तार का खास ख्याल रखना चाहिए। इस दौरान शराब, सिगरेट, तंबाकू और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बच्चे, गर्भवती महिलाएं. नवजात की मांओं और सफर करने वाले यात्रियों को रोजा ना रखने की मनाही है।
हर इंसान को 'जकात' देना होता है
रमजान के दौरान हर मुस्लिम को 'जकात' देना होता है। आपको बता दें कि 'जकात' का मतलब अल्लाह की राह में अपनी आमदनी से कुछ पैसे निकालकर जरूरतमंदों को देना। कहा जाता है 'जकात' को रमजान के दौरान ही देना चाहिए ताकि गरीबों तक वो पहुंचे और वो भी ईद मना सकें।
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