NDA में कुशवाहा की नाराजगी ने बढ़ाई रामविलास पासवान की 'टेंशन', ये है वजह
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नई दिल्ली। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी गुणा-गणित का दौर लगातार जारी है। खास तौर से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में सीटों का फॉर्मूला फाइनल होने के बाद जिस तरह से उपेंद्र कुशवाहा नाराज नजर आ रहे हैं, इससे लग रहा कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। जानकारी के मुताबिक आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूला सा खुश नजर नहीं आ रहे हैं। खबर है कि कुशवाहा की इस नाराजगी से कहीं न कहीं एनडीए में शामिल एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान थोड़े परेशान हैं। उनकी कोशिश यही है कि एनडीए में शामिल आरएलएसपी गठबंधन से बाहर नहीं जाए, इसके लिए उनकी ओर से कवायद भी हो रही है। जानिए आखिर उनके इस सियासी दांव की वजह क्या है...
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ये है रामविलास पासवान के परेशान की वजह
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान की मुश्किल ये है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग होने की रणनीति अपनाते हैं इसका असर कहीं न कहीं उन पर भी पड़ेगा। दरअसल पासवान जिस हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं वहां कुशवाहा मतदाताओं की तादाद निर्णायक है। हालांकि इस बार ऐसी खबर है कि पासवान लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बावजूद इसके हाजीपुर सीट उनकी प्रतिष्ठा की सीट जरूर है, ऐसा इसलिए क्योंकि वो इस सीट का नेतृत्व करते रहे हैं। पासवान ये नहीं चाहेंगे ये सीट उनके हाथ से फिसल जाए।
पासवान की कोशिश उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहें
अकेले हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं बल्कि छोटे भाई रामचंद्र पासवान समस्तीपुर सीट में भी कुशवाहा वोटर बड़ी तादाद में हैं और निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच रामचंद्र पासवान चुनाव जरूर जीत गए थे लेकिन वोटों का मार्जिन ज्यादा नहीं था। इन्ही वजहों से पासवान की कोशिश है कि आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहें। इसके पीछे मुख्य वजह यही है कि आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का कुशवाहा वोटरों पर अच्छा प्रभाव है।
अमित शाह से पासवान ने की फोन पर बात
रामविलास पासवान को लग रहा है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से किसी भी वजह से अलग होते हैं तो चुनाव में इसका असर पड़ सकता है। ऐसे में रामविलास पासवान की मंशा यही है कि किसी तरह से उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग नहीं होने दिया जाए। जानकारी के मुताबिक रामविलास पासवान ने इस मामले में खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात की है। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में बनाए रखने की पैरवी भी की है। हालांकि बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा खुद ही पूरे मामले पर विवाद पैदा कर रहे हैं।
सीट शेयरिंग फॉर्मूले से नाराज हैं उपेंद्र कुशवाहा
इस सियासी समीकरण में हालांकि एक फैक्टर और भी निर्णायक है और वो ये है कि जेडीयू इस बार एनडीए में है। अगर उपेंद्र कुशवाहा किसी वजह से नाराज होकर एनडीए से अलग भी होते हैं तो जेडीयू फैक्टर कहीं न कहीं असर करेगा। यानी कुशवाहा वोटर अगर छिटकते हैं तो उसकी भरपाई जेडीयू के वोटों से हो सकती है। वहीं अगर कुशवाहा एनडीए से अलग होते हैं तो संभव है कि आरएलएसपी की दो सीटें एलजेपी के खाते में आ जाए। हालांकि रामविलास पासवान इसे ध्यान में तो रख रहे हैं लेकिन उनकी कोशिश उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में रखने की है।
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