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Rafale deal: राहुल गांधी की जेपीसी मांग को क्यों नहीं मान रही मोदी सरकार?

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नई दिल्ली। राफेल डील के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। एयरक्राफ्ट डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने इसका सच सामने लाने के लिए राफेल सौदे की जांच ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) से कराने की मांग की है। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार जेपीसी जांच की मांग के लिए तैयार क्यों नहीं हो रही है? दूसरी ओर बीजेपी, राहुल गांधी के आरोपों पर लगातार पलटवार कर रही है, हालांकि जेपीसी मांग के मुद्दे पार्टी अभी कुछ भी नहीं कह रही है। आखिर ऐसी क्या वजह है जो मोदी सरकार कांग्रेस की जेपीसी मांग को तवज्जो नहीं दे रही है?

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राफेल सौदे में राहुल गांधी के जेपीसी मांग की ये है असल वजह

राफेल सौदे में राहुल गांधी के जेपीसी मांग की ये है असल वजह

ऐसा इसलिए क्योंकि जेपीसी जांच के इतिहास को देखें तो यह पता चलता है कि यह वास्तव में विपक्षी पार्टियों के लिए एक अहम राजनीतिक हथियार साबित हुए हैं। ये अजब संयोग है कि जब भी किसी मामले की जांच के लिए संसदीय जांच समिति (जेपीसी) का गठन किया गया, तत्कालीन सरकार सत्ता से बाहर हो गई है। यही वजह है कि राफेल सौदे में जेपीसी की राहुल गांधी की मांग को लेकर मोदी सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है।

जेपीसी के बहाने मोदी सरकार को घेरने का है प्लान

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देश की राजनीति में अभी तक 6 मौके आए हैं जब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया। इनमें सबसे पहले 1987 में बोफोर्स घोटाले को लेकर जेपीसी का गठन किया गया। इसके बाद 1992 में हर्षद मेहता शेयर मार्केट घोटाला, 2001 के केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला, 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक में कीटनाशक पाए जाने का मामले में जेपीसी का गठन किया गया। इसके बाद पिछली यूपीए सरकार के दौरान 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला और 2013 में वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में भी जेपीसी का गठन किया गया। दूसरी ओर बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए-2 के दौरान 2जी और वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले को जमकर उठाया, इसका असर भी चुनाव नतीजों में दिखाई दिया।

2019 के आम चुनाव में अहम होगा राफेल डील का मुद्दा

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फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस तरह राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जेपीसी जांच की मांग की इसके पीछे उनकी रणनीति साफ है। दरअसल 2019 में लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में अगर इस मामले में जेपीसी का गठन होता है इससे सत्ता पक्ष के खिलाफ विपक्षी दल एक माहौल बनाने में कामयाब हो सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी जेपीसी की मांग का मुद्दा संसद में भी उठाएगी। पार्टी को उम्मीद है कि 2014 में जिस तरह से 2जी और वीवीआई चॉपर घोटाले ने चुनाव पर असर डाला, उसी तरह से 2019 में राफेल डील भी अहम चुनावी मुद्दा बन सकता है। हालांकि कांग्रेस की ये रणनीति कितनी कामयाब होगी ये तो आगामी लोकसभा चुनाव में ही देखने को मिलेगा।

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English summary
Rafale deal: Why Modi government is not accepting Rahul Gandhi's JPC Probe Demand?
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