Rafale Deal: सुप्रीम कोर्ट ने जांच से जुड़ी सभी याचिकाओं को किया खारिज, मोदी सरकार को बड़ी राहत
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल डील में केंद्र की मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इस डील की जांच से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ-साफ कहा है कि केंद्र के फैसले पर सवाल उठाना ठीक नहीं है और न ही जेट की क्षमता पर कोई संदेह होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में अब कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला लेना था कि राफेल डील में नियमों के मुताबिक प्रक्रिया अपनाई गई या नहीं। 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था। यह भी देखें-कैसा है इंडियन एयरफोर्स को मिलने वाला राफेल जेट, फ्रांस के एयरबेस पर भरी पहली उड़ान
कोर्ट की देखरेख में की गई थी सीबीआई जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका इस मकसद से दायर की गई थी कि अदालत की देख-रेख में सीबीआई की अगुवाई में एक जांच हो। इस जांच में फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के साथ हुई 36 राफेल फाइटर जेट की खरीद प्रक्रिया की जांच की मांग की गई थी। सरकार की ओर से इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के लिए 36 जेट्स की डील को साल 2016 में फाइनल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हम इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि जिस प्रक्रिया का पालन किया गया है उसमें किसी तरह का कोई अंदेशा नहीं होना चाहिए। साथ ही एयरक्राफ्ट की जरूरत को लेकर भी किसी तरह का कोई अंदेशा नहीं होना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सवाल नहीं उठा सकते
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम 126 के मुकाबले 36 फाइटर जेट को खरीदने के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठा सकते हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा,'कोर्ट के लिए यह उचित नहीं है कि वह एयरक्राफ्ट की खरीद से जुड़ी अथॉरिटी के फैसले पर सवाल उठाए।' इस बेंच में चीफ जस्टिस गोगोई के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं। याचिका को एक्टिविस्ट और वकील प्रशांत भूषण के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के अलावा आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और एडवोकेट एमएल शर्मा के साथ एडवोकेट विनीत धांडा की ओर से दायर किया गया था।
कीमत को लेकर क्या कहा कोर्ट ने
याचिकाकर्ताओं की ओर से जेट की कीमत में अपारदर्शिता और ऑफसेट डील को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए थे। केंद्र सरकार की ओर से हमेशा ही इन आरोपों को खारिज किया जाता रहा है। सरकार ने कहा था कि वह जेट की कुल कीमत सार्वजनिक नहीं कर सकती है क्योंकि फ्रांस के साथ हुई इस डील में यह भी एक नियम है। सरकार की मानें तो डील की कीमत के बाद देश के दुश्मनों को जेट की कुछ खास बातों की भी जानकारी मिल सकती है। हालांकि सरकार ने जेट की कीमतों को एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया था। कोर्ट ने कहा कि वह कीमतों से जुड़े पहलू पर नहीं जाएगी।