बिहार में चुनाव की आहट देख तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच सुलह की कोशिशों में जुटीं राबड़ी देवी
नई दिल्ली- बिहार विधानसभा चुनाव को नजदीक आता देख लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल में चिंता बढ़ गई है। लगभग दो दशकों तक बिहार की सत्ता पर काबिज रहने वाली पार्टी की सबसे बड़ी परेशानी लालू के दोनों बेटों तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के जारी मतभेद है। पार्टी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू-राबड़ी के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को 2020 के चुनाव के लिए पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर रखा है। लेकिन, पार्टी के अंदरखाने इसबात को लेकर खलबली मची हुई है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से तेज प्रताप ने कई मौकों पर छोटे भाई को खुली चुनौती दी, ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी का अंजाम क्या होगा? इसलिए खबरें हैं कि राबड़ी देवी ने खुद ही दोनों बेटों को समझाने-बुझाने की पहल शुरू कर दी है।
तेज प्रताप से नाराज तेजस्वी?
पिछले हफ्ते ही आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी को 'अर्जुन' बताते हुए भगवत गीता की एक कॉपी दी थी। उन्होंने दोनों भाइयों के बीच विवाद की बातों को हवा देने वालों को 'चीर कर रख देने' तक की धमकी तक दे डाली थी। लेकिन, आरजेडी में कुछ ऐसे नेता भी हैं जो लोकसभा में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए तेज प्रताप को दोषी मानते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबरों के मुताबिक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ही तेजस्वी ने बिना नाम लिए इशारों में अपने बड़े भाई पर निशाना साधने की भी कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि कुछ नेताओं के दबाव और जुबानी हमले के चलते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के लिए काम करना मुश्किल हो रहा है।
दोनों को 'कूल' करना चाहती हैं राबड़ी
उस बैठक में बिहारी की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने पार्टी के लोगों से कहा था कि उन्हें ज्यादा मजबूती और नई ऊर्जा के साथ काम करने की जरूरत है। बाद में राष्ट्रीय जनता दल के एक वरिष्ठ ने कहा है कि, "पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपने दोनों बेटों के बीच में ऐसे बैठीं, जैसे वो मध्यस्थ की भूमिका निभा रही हों। वो तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच सुलह की कोशिशें कर रही हैं।" दरअसल, लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाने के बाद ही आरजेडी ने विधानसभा चुनावों के लिए तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार घोषित किया है। इसी बात से आशंका है कि तेज प्रताप फिर से पार्टी का खेल बिगाड़ने का प्रयास शुरू न कर दें। इसलिए राबड़ी देवी दोनों बेटों के बीच शांति बनाए रखने के साथ ही तेजस्वी की लीडरशिप में पार्टी को चलाने की कोशिश कर रही हैं। दरअसल, दोनों भाइयों के बीच मतभेद को लेकर एनडीए भी आरजेडी पर तंज कसती रही है। जब तेजस्वी विधानसभा से गायब थे, तब राज्य के मंत्री विजय सिन्हा ने उनकी अनुपस्थिति के लिए दोनों भाइयों की लड़ाई को कारण बताया था। उन्होंने कहा था कि "शायद तेजस्वी अपने भाई तेज प्रताप पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।"
इसे भी पढ़ें- जनसंख्या को लेकर गिरिराज के बयान पर भड़के उलेमा, कहा- कोई नहीं छीन सकता...
दुविधा में पार्टी
इन बातों से जाहिर है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जुटे विधायकों की संख्या है। राज्य विधानसभा में पार्टी के 81 विघायक हैं, जबकि उस बैठक में मुश्किल से आधे विधायक (40-45) ही पहुंचे थे। आरजेडी के एक नेता ने साफ कहा कि, "लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नाराजगी और मोहभंग होने का यह साफ संकेत है।" पार्टी के एक दूसरे नेता ने कहा कि, "कुछ नेता जरूर तेज प्रताप को बढ़ावा दे रहे थे, लेकिन ज्यादातर लोग उनके पक्ष में नहीं थे। अलबत्ता कोई भी वरिष्ठ नेता उनकी पहचान बताना के लिए तैयार नहीं हुआ, क्योंकि उसपर कार्रवाई हो सकती थी, इसके संकेत स्पष्ट थे।" बहरहाल, देखने वाली बात है कि राबड़ी देवी का ताजा प्रयास कितना रंग लगाता है, क्योंकि ये समस्या एक दिन में पैदा नहीं हुई है और परिवार का विवाद कई बार सार्वजनिक हो चुका है।
इसे भी पढ़ें- इस वजह से भाजपा को सुब्रमण्यम स्वामी ने लोकतंत्र के लिए खतरा बताया