लोकसभा चुनाव 2019: इरोड लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: इरोड लोकसभा सीट से AIADMK नेता सेल्वाकुमार एस ( Selvakumara Chinnayan)सांसद हैं, साल 2014 के चुनाव में उन्होंने इस सीट पर MDMK के नेता गणेशमूर्ति (Ganeshamurthi.A) को 211, 563 वोटों से पराजित किया था। सेल्वाकुमार को यहां पर 466, 995 वोट मिले थे तो वहीं गणेशमूर्ति को 255, 432 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर नंबर तीन की पोजिशन पर DMK और नंबर 4 पर कांग्रेस थी, डीएमके प्रत्याशी को 217, 260 और कांग्रेस प्रत्याशी को 267, 26 वोट ही प्राप्त हुए थे। साल 2014 में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 13,21,395 थी, जिसमें से केवल 10,08,582 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था जिसमें पुरुषों की संख्या 5,11,553 और महिलाओं की संख्या 4,97,029 थी।
इरोड,
परिचय-प्रमुख
बातें-
इरोड
जिला
तमिलनाडु
के
पश्चिमोत्तर
भाग
में
स्थित
है,
जो
कि
सेलम
और
कोयम्बटूर
के
बीच
बसा
है,
31
अगस्त,
1979
को
इसे
कोयम्बटूर
ज़िले
के
विभाजनस्वरूप
बनाया
गया
था।
इसके
उत्तर
में
कर्नाटक
है
तथा
इसकी
पूर्वी
सीमा
कावेरी
नदी
से
निर्धारित
होती
है।
कावेरी
नदी
के
पार
सेलम,
नमक्कल
तथा
करुर
के
जिले
हैं।यह
ज़िला
तमिल
समाज
सुधारक
पेरियार
(इ
वी
रामास्वामी)
और
प्रसिद्ध
गणितज्ञ
रामानुजन
का
जन्म
स्थान
है।इरोड
की
कुल
आबादी
16,90,678
है,
जिसमें
से
36.16%
लोग
गांवों
में
और
63.84%
लोग
शहरों
में
रहते
हैं,
यहां
पर
16.66%
लोग
एससी
वर्ग
के
भी
हैं
,
इरोड
अपने
वस्त्र
उद्योग,
हथकरघा
उत्पादों
और
तैयार
कपड़ों
के
लिये
प्रसिद्ध
है
इसलिये
इसे
टेक्सवैली
या
लूम
सिटी
ऑफ
इण्डिया
के
नाम
से
भी
जाना
जाता
है।
यह
शहर
हल्दी
उत्पादन
के
लिये
भी
लोकप्रिय
है।
यहां
93
प्रतिशत
आबादी
हिंदू
धर्म
में
और
3
प्रतिशत
लोग
इस्लाम
धर्म
में
भरोसा
करते
हैं।
इरोड
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
परिसीमन
के
बाद
ये
लोकसभा
सीट
अस्तित्व
में
आई,
साल
2009
में
यहां
पहला
आमचुनाव
हुआ,
जिसे
कि
MDMK
के
नेता
गणेशमूर्ति
ने
जीता
था
लेकिन
साल
2014
के
चुनाव
में
यहां
पर
AIADMK
ने
जीत
दर्ज
की
और
सेल्वाकुमार
एस
यहां
से
जीतकर
लोकसभा
पहुंचे।
दिसंबर
2018
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
जमीनी
नेता
कहे
जाने
वाले
सेल्वाकुमार
एस
की
पिछले
5
सालों
के
दौरान
लोकसभा
में
उपस्थिति
73
प्रतिशत
रही
है
और
इस
दौरान
उन्होंने
मात्र
24
डिबेट
में
हिस्सा
लिया
है
और
93
प्रश्न
पूछे
हैं,
हालांकि
ये
किसी
भी
लिहाज
से
अच्छा
रिकार्ड
नहीं
है
लेकिन
इनके
ज्यादातर
प्रश्न
क्षेत्र
के
विकास
से
ही
जुड़े
हुए
हैं।
साल 2014 के चुनाव में AIADMK ने इस सीट पर जीत दर्ज करके सफलता का नया परचम लहराया था, यही नहीं तब मुख्यमंत्री जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने लोकसभा चुनावों में पूरे राज्य में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन जयललिता के निधन के बाद AIADMK में काफी बिखराव हो गया, फूट की शिकार हुई AIADMK को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा है, ऐसे में इस सीट को अपने पास बचाकर रखने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है तो वहीं विरोधियों की भी पूरी कोशिश इस सीट को वापस अपनी झोली में डालने की होगी, देखते हैं शह-मात के इस खेल में जीत का सेहरा किसके सिर पर सजता है। यहां आपको बताते चलें कि दक्षिण भारत में सबसे अधिक 39 लोकसभा सीटें तमिलनाडु में हैं, इनमें से 37 सीटें अकेले एआईएडीएमके को मिली थीं। डीएमके और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। राज्य में एनडीए का वोट शेयर 18.5% और एआईएडीएमके का 44.3% शेयर था।
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