सिगार, मटन और व्हाइट वाइन के दिवाने थे बाला साहब ठाकरे, पाकिस्तान से थी सख्त नफरत
नई दिल्ली। शिवसेना संस्थापक बाला बाला साहब ठाकरे का आज जन्मदिन है और आज ही शिवसेना ने इस बात का ऐलान कर दिया है कि वो भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ेगी। शिवसेना की मंगलवार को हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव बीजेपी से अलग लड़ने का फैसला किया गया है। बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी की अहम सहयोगी है। इन सबसे अलग आज बात करेंगे सिर्फ बाला साहब ठाकरे की। जानेंगे कि बाला साहब ठाकरे को क्या पंसद था और क्या नहीं? साथ में उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में भी चर्चा करेंगे। आपको बता दें कि बाला साहब ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को हुआ था।
अखबार में कार्टूनिस्ट के तौर पर काम कर चुके थे बाला साहब ठाकरे
बाल ठाकरे का जन्म एक साधारण से मराठी कायस्थ परिवार में 23 जनवरी 1926 में हुआ। पढ़ाई पूरी करते-करते उन्होंने समाज सेवा में कदम रखा और पिछड़ों के लिये जंग लड़नी शुरू की। 1950 के दशक में उन्होंने मुंबई में एक अखबार फ्री प्रेस जनरल में एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया। उसके बाद उन्होंने लेख लिखने शुरू किये। 1960 में उन्होंने अपनी पत्रिका मार्मिक लॉन्च की। यह एक कार्टून वीकली था। उन्होंने इसका इस्तेमाल तमाम अभियानों में किया। ठाकरे ने अपने जीवन में कई नाटकों का मंचन भी किया। वह एक कलाकार के रूप में भी जनता के सामने दिखे।
19 जून 1966 को शिवसेना का स्थापना किया
देखते ही देखते ठाकरे राजनीति से जुड़ गये और 19 जून 1966 को उन्होंने शिवसेना की स्थापना की। उन्होंने शिवाजी पार्क में अपनी पहली रैली का आयोजन इसी दिन किया। उन्होंने अपनी जंग की शुरुआत गैर मराठियों के खिलाफ की। शिवसेना के कार्यकर्ताओं को सैनिक का दर्जा दिया और अपनी सेना के साथ उन्होंने तमाम अभियान चलाये। 1995 में शिवसेना और भाजपा की महाराष्ट्र में सरकार बनी। लेकिन ठाकरे ने एक भी पद नहीं लिया। उन्होंने पर्दे के पीछे बैठ कर सरकार का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रखा। 1996 में उनकी पत्नी मीना ठाकरे का निधन हो गया। उसी साल उनके बड़े भाई भी नहीं रहे।
पाकिस्तान से सख्त नफरत करते थे बाल ठाकरे
अपने बेबाक बयान और जातिवाद व क्षेत्रवाद की राजनीति के कारण चुनाव आयोग ने ठाकरे पर छह साल के लिये प्रतिबंध लगा दिया। उस प्रतिबंध के अंतर्गत न तो वो वोट दे सकते थे और न ही चुनाव लड़ सकते थे। ठाकरे ने जीवन भर हिंदुओं के लिये लड़ाईयां लड़ीं। वो अपने जीवन में अगर किसी देश से नफरत करते थे तो वो था पाकिस्तान। वो भी आतंकवाद की वजह से।
बॉलीवुड के करीब रहे बाल ठाकरे
बाला साहब हमेशा से बॉलीवुड के करीब रहे। अमिताभ बच्चन से लेकर तमाम कलाकारों के साथ उनके रिश्ते काफी करीबी रहे। बाला साहब लता मंगेश्कर के बहुत बड़े फैन थे। वो जब भी लता जी से मिलते थे, तो कोई न कोई गीत गुनगुनाने के लिये कहते थे। बाला साहब के पास लता जी के गीतों का बड़ा कलेक्शन भी था। उन्हें बॉलीवुड के कार्यक्रमों में जाना काफी पसंद था। एक समय था, जब ठाकरे के आने के पहले कार्यक्रम शुरू तक नहीं होता था।
अमिताभ बच्चन से करीबी रिश्ते
बाला साहब के रिश्ते अमिताभ से भी काफी करीबी थे। जब अमिताभ कुली फिल्म की शूटिंग में चोटिल हुए, तब वो उनके पास गये तो उन्होंने कहा कि अमिताभ तुम यमराज को मात दे दो। ठाकरे हमेशा से शिवसेना के लिये जिये। अपने अंतिम भाषण जो उन्होंने वीडियो के जरिये दशहरा रैली पर दिया उसमें शिवसैनिकों से कहा कि मैं बूढ़ा हो गया हूं, अब आप लोगों की जिम्मेदारी है संगठन को आगे बढ़ाने की।
सिगार, मटन और व्हाइट वाइन के दीवाने थे
बाला साहब सिगार, मटन और व्हाइट वाइन के दीवाने थे। चांदी के सिंहासन पर बैठने के शौकीन बाला साहेब ठाकरे के घर शरद पवार अक्सर बियर पीने जाया करते थे। इस बात का खुलासा खुद बाला साहेब ने किया था।
नॉनवेज बहुत पसंद था लेकिन एक दिन अचानक छोड़ने का फैसला लिया
बाला साहब को नॉनवेज बहुत पसंद था, लेकिन मुंबई में आयोजित जैन धर्म एक एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अचानक उन्होंने पूरी तरह से शाकाहारी बनने का निर्णय लिया और अंतिम समय तक इसे निभाया भी। अपने नॉनवेज छोड़ने की बात खुद बालासाहब ने सीनियर एडिटर मार्क मैनुअल को दिए एक इंटरव्यू में भी कबूल की थी।