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क़द छोटा पर नाम बॉडी बिल्डिंग के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में

26 साल के प्रतीक विट्ठल मोहिते को दुनिया के सबसे छोटे क़द का 'कॉम्पटेटिव बॉडी बिल्डर' होने के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है.

By BBC News हिन्दी
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प्रतीक विट्ठल मोहिते
Pratik Vitthal Mohite
प्रतीक विट्ठल मोहिते

कहते हैं न कि आपके हौसले यदि बुलंद हों, तो कामयाबी आख़िर कदम चूम ही लेती है. कुछ करने का जज़्बा और लगन यदि है तो कुछ भी आड़े नहीं आ सकता, फिर वो ख़ुद का शरीर ही क्यों न हो. अपनी मेहनत और समर्पण से 26 साल के प्रतीक विट्ठल मोहिते ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है.

प्रतीक ने अपने नाम दुनिया का सबसे छोटा प्रतिस्पर्द्धी बॉडी बिल्डर होने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज करा लिया है. इनकी ऊंचाई महज़ 3 फ़ीट और 4 इंच है.

इस बारे में प्रतीक कहते हैं कि गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए उन्होंने तीन बार प्रयास किया, पर हर बार अस्वीकार कर दिया गया. लेकिन उन्होंने चौथी बार पूरी तैयारी के साथ अपना नाम भेजा, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया. इसके साथ ही, विश्व रिकॉर्ड का ख़िताब अब उनके नाम हो गया है.

स्कूल-कॉलेज में लोग उड़ाते थे मज़ाक

बॉडी बिल्डर प्रतीक विट्ठल मोहिते के छोटे क़द के चलते लोग इनका काफ़ी मज़ाक बनाते रहे हैं, पर प्रतीक ने इसी छोटे क़द को अपना हथियार बनाकर सफलता की इबारत लिख दी.

बीबीसी हिंदी से बात करते हुए प्रतीक कहते हैं कि, ''अपने क़द की वजह से मुझे कुत्तों से भी बहुत डर लगता था. कई बार कुत्तों ने मुझ पर हमला किया, क्योंकि मैं उन्हें बाक़ी इंसानों से अलग दिखता था. इसलिए मैंने अपना शरीर बनाना शुरू किया.''

वो कहते हैं, ''जब मैं स्कूल या कॉलेज जाता था तो लोकल ट्रेन में मुझे अलग-अलग लोग मिलते थे. कोई मुझे देखकर हँसता था, तो कोई मेरा मज़ाक उडाता. मैंने सोचा कि यदि मैं सबको बोलता जाऊंगा तो दिन में मेरे सौ झगड़े होंगे और इससे मैं ख़ुद परेशान होता जाऊंगा, तो मैंने ठान लिया कि इन सबको नज़रअंदाज़ कर अपने करियर पर ध्यान दूंगा.''

प्रतीक बताते हैं कि उसके बाद उन्होंने लोगों के मज़ाक और उनकी गालियों पर ध्यान देना छोड़ दिया. वो कहते हैं कि अब जो मेरा हौसला बढ़ाते हैं, केवल उनकी ही बातों को याद रखता हूँ.

'ये सफ़र नहीं आसान'

गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया के बारे में प्रतीक कहते हैं, ''मैंने 2016 में बॉडी बिल्डिंग की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया. शुरू-शुरू में लोगों के बीच जाने और स्टेज पर परफ़ॉर्म करने से मैं बहुत डरता था कि कहीं लोग मेरा वीडियो बनाकर किसी जोक की तरह वायरल न कर दें.''

वो आगे बताते हैं, ''पर अपने डर को दबाते हुए मैंने ठान लिया कि कुछ तो कर के दिखाना है. और जब मैं स्टेज पर गया तो मुझे लोगों से बहुत प्यार मिला, ये देखकर मेरी हिम्मत बढ़ती गई और मैंने धीरे-धीरे कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया.''

उन्होंने बताया कि 2018 में महाराष्ट्र के लिए खेलकर वो सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे. वो 2018 से नेशनल लेवल के लिए सेलेक्ट होते गए. इस साल उन्होंने पंजाब के लुधियाना में नेशनल गेम खेला.

वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने को लेकर चले संघर्ष के बारे में वो बताते हैं, ''मेरे एक दोस्त ने मुझे गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में बताया था. उसके बाद मैंने 3 साल पहले इसके लिए अप्लाई किया था. उन्होंने तीन बार मुझे रिजेक्ट कर दिया.''

वो आगे कहते हैं, ''इसके बाद मैंने इंटरनेट पर कई ख़बरें पढ़ीं और उनसे रिजेक्ट होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं प्रतियोगिता के लिए टाइटल ही ग़लत दे रहा था. उन्होंने हमसे कई प्रमाण पत्र मांगे, जैसे कि मेरा क़द कितना है, क्या मेरी लंबाई हमेशा से इतनी ही रही है, बॉडी बिल्डिंग और कई सारे प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले कई सर्टिफ़िकेट मांगे.''

प्रतीक बताते हैं कि उसके बाद उन्होंने इन सारी जानकारियों का पता लगाया और उसके बाद उन्हें गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दुनिया के सबसे छोटे क़द का 'कॉम्पेटिटिव बॉडी बिल्डर' का ख़िताब मिल सका.

'12 साल की उम्र में पता चला कि मैं अलग हूं'

बचपन में फ़ौजी बनने का सपना देखने वाले प्रतीक का ये सपना तब टूट गया, जब वो क़रीब 12 साल के थे.

प्रतीक कहते हैं कि वो 12 साल के थे, तब पता चला कि मेरा क़द अब और नहीं बढ़ेगा और वो बाक़ी बच्चों से अलग हैं.

वो बताते हैं, ''मेरी माँ-पिता के लिए ये सुनना आसान नहीं था. घर पर सब बहुत दुखी थे. मुझे 'हैंडीकैप हॉस्टल' में डाल दिया गया. वहां मैंने 3 साल तक पढ़ाई की और उतने दिन वहां पढ़ने के बाद मुझमें ये समझ आ गई कि यदि कोई कुछ कहता है तो मैं उनका मुंह बंद नहीं कर सकता. इसलिए मैंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की.''

उनका कहना है कि पढ़ाई में उनकी ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी, इसलिए उन्होंने खेल पर फ़ोकस किया.

प्रतीक कहते हैं, ''अब खुश हूं कि आख़िर मेरी मेहनत रंग लाई. जब मैं गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहा था, तो परिवार में किसी को भरोसा नहीं था. मतलब विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं दुनिया का सबसे कम क़द का बॉडी बिल्डर हूं. लेकिन जब ये रिकॉर्ड बन गया, तो परिवार वाले बहुत खुश हुए.''

अपनी सफलता का श्रेय वो अपने परिवार को देते हैं. वो कहते हैं, ''मैं अपने परिवार के चलते यहाँ तक पहुंच पाया हूं. पापा जो भी कमाते थे, उसमें से थोड़ा मुझे दे देते थे. माँ दूसरों के कपडे सिलकर मुझे ख़र्च के लिए पैसे देती थी, क्योंकि बॉडी बिल्डिंग में बहुत पैसे लगते हैं.''

वो आगे बताते हैं, ''अलग-अलग जगहों पर जाना पड़ता है और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने और वहां जाने का सारा ख़र्चा मुझे ही उठाना पड़ता है. और खानपान का भी ख्य़ाल रखना पड़ता है. परिवार के सहयोग के बिना मैं कुछ नहीं कर पता.''

गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद अपने आगे के सपने के बारे में प्रतीक कहते हैं, ''मैं अपने आप को मिस्टर वर्ल्ड के लिए तैयार करना चाहता हूं और भारत के लिए गोल्ड लाना चाहता हूँ.''

अपने जैसे नाटे क़द के लोगों के नाम संदेश देते हुए वो कहते हैं, ''मेरे जैसे लोगों को मैं बस यही कहना चाहता हूं कि हमारा क़द भले छोटा है, पर हम किसी से कम नहीं हैं. हमारा क़द ज़रूर छोटा है, लेकिन अपनी सोच हमेशा बड़ी रखनी है.''

आख़िर में वो कहते हैं, ''हर किसी में कोई न कोई कमी ज़रूर होती है. भगवान ने यदि हमें कुछ कम दिया तो उन्होंने हम में कुछ न कुछ ख़ूबी भी ज़रूर दी होगी. हमें बस उस ख़ूबी को ढ़ूंढ़कर दुनिया के सामने पेश करना है.''

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English summary
Pratik Vitthal Mohite earns Guinness World Record for shortest competitive bodybuilder
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