भारत और म्यांमार के बीच 11 करार, छाया रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा
नेपिताउ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से मुलाकात की। मोदी और आंग सान के के बीच यह पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी। मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और आतंकवाद पर चर्चा हुई। भारत और म्यांमार के बीच 11 करार भी हुए। हालांकि, पीएम मोदी ने रोहिंग्या मुसलमानों का तो जिक्र नहीं किया लेकिन चरमपंथियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर जल्द से जल्द समाधान निकाला जाएगा।
भारत और म्यांमार के बीच 11 करार
- भारत और म्यांमार के बीच मैरिटाइम सिक्युरिटी में सहयोग के लिए हस्ताक्षर हुए।
- दोनों पक्षों के बीच व्हाइट शिपिंग सूचनाओं को साझा करने के लिए करार किया गया।
- 2017 से 2020 के दौरान दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान।
- आईटी कौशल को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच करार हुआ।
- म्यांमार के यामेथिन में महिला पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के उन्नयन के लिए सहयोग का भी करार।
- चिकित्सा उत्पाद, स्वास्थ्य एवं दवा क्षेत्र में भी सहयोग के लिए समझौता।
- दोनों देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए हस्ताक्षर किए।
- भारत की तरफ से म्यांमार नागरिकों के लिए ग्रेटिश वीजा के प्रवधान पर हस्ताक्षर।
- इलेक्शन कमीशन एंड यूनियन इलेक्शन ऑफ म्यांमार, नेशनल लेवल इलेक्टोरल कमीशन ऑफ म्यांमार के मुद्दे करार।
- भारतीय प्रेस परिषद तथा म्यामां प्रेस काउंसिल के बीच सहयोग के लिए भी करार किया है।
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भारत के लिए म्यांमार है स्ट्रेटेजिक पड़ोसी मुल्क
भारत के लिए म्यांमार एक बहुत बड़ा स्ट्रेटेजिक पड़ोसी मुल्क है। इसकी 1,640 किलोमीटर की लंबी सीमा भारत के कई पूर्वोत्तर राज्यों से लगती है। मोदी की म्यांमार यात्रा ना सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों के सामरिक परिस्थितियों के हिसाब से बल्कि चीन के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत का चीन के साथ चाहे सीमा विवाद हो या कोई कूटनीतिक अड़ंगा, हर मामले में म्यांमार बहुत बड़ा रोल प्ले करता है।
छाया रहा रोहिंग्या मुसलमान का मुद्दा
पीएम मोदी के म्यांमार दौरै से पहले यह अटकलें लगाई जा रही थी कि रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा आंग सान सू की से मुलाकात के दौरान उठ सकता है। हालांकि, मोदी और सू की पहली बाइलेटरल मीटिंग में रोहिंग्या मुसलमानों का नाम तो नहीं लिया गया लेकिन इस पर चिंता जरूर देखी गई। म्यांमार से जहां लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को पलायन होने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है, वहीं भारत सरकार भी इन्हें अवैध प्रवासी बताते हुए वापस भेजने की योजना बना रही है।