संसद में कोरोना पर दोनों सदनों को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, विपक्ष ने जताई आपत्ति
सदीय सौंध में कोविड-19 पर सभी सांसदों को संयुक्त रूप से संबोधित करने की पीएम मोदी की पेशकश पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। संसदीय सौंध (उपभवन) में कोविड-19 पर सभी सांसदों को संयुक्त रूप से संबोधित करने की पीएम मोदी की पेशकश पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद का सत्र जारी रहने के दौरान ऐसा करना गैर जरूरी होगा और इसका मकसद नियमों को दरकिनार करना है। मालूम हो कि संसदीय सौंध संसद भवन में एक अलग बिल्डिंग है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सीपीआई (एम) सहित नेताओं ने यह भी कहा कि जब सदन के पटल पर कोविड महामारी और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है, तो बाहर जाने की क्या जरूरत है? बता दें कि रविवार को मानसून सत्र से एक दिन पहले हुई सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि पीएम मोदी 20 जुलाई को राज्य सभा और लोक सभा के सांसदों को संयुक्त रूप से कोरोना महामारी पर संबोधित करेंगे।
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मीटिंग में मौजूद टीएमसी नेता और राज्य सभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'संसद के बाहर जाने की क्या जरूरत है? कोई भी संबोधन सदन के भीतर होना चाहिए। ये संसद के नियमों को दरकिनार करने का एक और तरीका है। संसद का मजाब बनाना बंद करें। मोदी और अमित शाह कितने आए जाएंगे? जब हम सोचते हैं कि वे अब और नीचे नहीं जाएंगे, तब वे सदन के भीतर नहीं बल्कि सौंध में संबोधित करना चाहते हैं।'
सर्वदलीय बैठक में 33 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया था। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सांसद इस सरकार या पीएम मोदी से कोरोना के मुद्दे पर किसी कॉन्फ्रेंस रूम में कोई दिखावटी प्रस्तुति नहीं चाहते। संसद का सत्र जारी रहेगा। संसद के पटल पर आएं।
सूत्रों के मुताबिक अन्य विपक्षी दलों ने भी डेरेक ओ ब्रायन की बात का समर्थन करते हुए केंद्रीय हॉल में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का सुझाव दिया है। सूत्रों के मुताबिक विपक्षी नेताओं में एनसीपी नेता शरद पवार अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने सौंध में होने वाली बैठक का विरोध नहीं किया।
तेल
के
बढ़ते
दामों
का
उठाया
मुद्दा
सर्वदलीय
बैठक
में
सभी
सांसदों
ने
तेल
के
बढ़ते
दामों,
कृषि
कानूनों,
कोरोना
और
अर्थव्यवस्था
की
हालत
का
मुद्दा
उठाया।