Moon and Venus: ईद के दिन चांद के साथ दिखेगा प्यार का ग्रह
नई दिल्ली। पूरा भारत शनिवार को ईद का पर्व मनाएगा क्योंकि केरल राज्य को छोड़कर पूरे हिंदुस्तान में ईद के चांद का दीदार कहीं भी 14 जून को नहीं हुआ, जिस वक्त जमीं पर ईद के जरिए लोगों के बीच मोहब्बत की खुशबू फैलेगी उस वक्त आसमां में भी कुछ ऐसा होगा जो कि प्रेम की एक नई परिभाषा लिखेगा। अब आप सोच रहे होंगे कि हम क्या कहना चाह रहे हैं तो सुनिए, शनिवार की शाम को, आकाश में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।
'शुक्र' के साथ बेबी मून दिखेगा
भारतीय समयानुसार शाम 7 बजकर 1 मिनट पर पर आप नीले आकाश में हुस्न के मालिक 'चांद' और प्रेम का सूचक ग्रह 'शुक्र' को साथ-साथ देख पाएंगे। इस दौरान 'शुक्र' के साथ जो मून दिखेगा, वो मात्र तीन दिन पुराना होगा।
शुक्र और चंद्रमा संयुग्मन (कान्जूगेशन)
खगोलशास्त्रियों के लिए ये पल बहुत ही खास होगा क्योंकि ऐसी घटना कई सालों बाद घटित होने वाली हैं। साइंस पापुलराइजेशन एसोसिएशन आफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स (एसपीएसीई) ने बताया है कि ये नजारा बेहद ही खूबसूरत होगा और देखने वालों को ऐसा प्रतीत होगा कि जैसे पृथ्वी का इकलौता उपग्रह चंद्रमा प्रेम के प्रतीक 'शुक्र' की खैरियत पूछने उसके पास गया है। इस घटना को 'शुक्र' और 'चंद्रमा' संयुग्मन (कान्जूगेशन) नाम दिया गया है।
'मून वीनस कान्जूगेशन'
खगोलशास्त्र में आकाशीय ग्रहों की आपेक्षिक स्थिति के लिए संयुग्मन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। 'मून वीनस कान्जूगेशन' में आसमान में दो आकाशीय ग्रह एक दूसरे से लगभग मिलते हुए नजर आएंगे। जिन्हें कि आप नग्न आंखों से बड़े ही आराम से देख पाएंगे। अनुमान के मुताबिक अद्धचंद्राकार चंद्रमा भूमध्य रेखा के दाहिने ओर दक्षिण में ऊंचाई पर होगा और शुक्र बायीं ओर होगा, जिसे बड़ी आसानी से पूरी दुनिया में देखा जा सकेगा।
'शुक्र' ग्रह की खासियत
'शुक्र' ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक रहता है, 'शुक्र' ग्रह सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुंचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में परिभाषित किया गया है।
'चन्द्रमा' की खासियत
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पाचवां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384, 403 किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी कि परिधि के 30 गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह प्रथ्वी कि परिक्रमा 27.3 दिन में पूरा करता है । यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा या फेस हमेशा पृथ्वी की ओर होता है।
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