अब चेक बाउंस हुआ तो खैर नहीं, लगेगा जुर्माना और होगी 2 साल की जेल, संसद में पारित हुआ बिल
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और व्यापार-कारोबार में भरोसा कायम करने के लिए चेक बाउंस के दोषियों को कड़ी सजा तथा भारी जुर्माने के प्रावधान वाले वाले 'द निगोसिएशन इन्सट्रूमेंटस् (संशोधन) विधेयक 2018' को गुरुवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया। इस विधेयक को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक के तहत चेक बाउंस के आरोपी को इसकी राशि का 20 फीसदी हिस्सा अदालत में अंतरिम मुआवजे के तौर पर जमा कराना होगा। विधेयक में चेक बाउंस मामलों के दोषियों को 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि विधेयक के जरिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है, जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है। धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को 60 दिन के भीतर 20 प्रतिशत अंतरिम राशि देने की व्यवस्था है। बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है। इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है।
वित्त राज्य मंत्री शुक्ल ने सदन को बताया कि मौजूदा समय में देश भर की निचली अदालतों में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमे चल रहे हैं जबकि 32,000 मामले उच्च अदालतों तक गए है। इससे पहले विधेयक पेश करते हुए मंत्री ने कहा था कि चेक प्राप्तकर्ता को राहत देने के मकसद से इस विधेयक में पर्याप्त उपाय किये गये हैं। इससे चेक की विश्वसनीयता और साख बढ़ेगी। इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री सहित कई सदस्यों ने मौजूदा विधेयक को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसमें सजा के प्रावधान को 2 से बढ़ाकर 4 साल करने और अंतरिम मुआवजा की राशि को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 से 40 प्रतिशत करने की मांग की ताकि चेक की वित्तीय साख को मजबूत किया जा सके और गलत मंशा से चेक जारी करने वालों पर रोक लगाई जा सके।