मरहूम बीजेपी सांसद के बेटे को टिकट देकर शिवसेना ने दिलचस्प बनाया पालघर लोकसभा का उपचुनाव
मुम्बई: पालघर लोकसभा उपचुनाव को बीजेपी और शिवसेना ने अपनी-अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है। पालघर में लोकसभा उपचुनाव काफी रोचक होने जा रहा है। शिवसेना ने सत्ताधारी बीजेपी को टक्कर देने के लिए बड़ी चाल चली है और माना जा रहा है कि पालघर में शिवसेना और सत्ताधारी बीजेपी के बीच ये अब तक का सबसे बड़ा मुकाबला होगा।
पालघर में शिवसेना सत्तारूढ़ बीजेपी को कड़ी टक्कर देने को तैयार है। शिव सेना पालघर लोकसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवार के पक्ष में सहानुभूति की लहर पर निर्भर है। जबकि भाजपा शिव सेना की सबसे बड़ी कमजोरी उत्तर भारतीय आबादी को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी है। विरार, नालासोपारा, बोइसर, दहानु, विक्रमाद और तलसारी में बीजेपी मराठी वोटों को शिवसेना और बहुजन विकास अघादी के बीच बांटने की कोशिश कर रही है।
दिवंगत बीजेपी सांसद चिंतामन वनगा के बेटे को शिवसेना ने उतारा
शिवसेना भी इसी को अपना हथियार बना रही है और सहानुभूति के नाम पर वोट लेने के लिए प्रचार को बीजेपी के खिलाफ मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है। बोइसर, दहानु, विक्रमाद और तलसारी में ये सहानुभूति शिवसेना के काम आ सकती है जहां वनगा ने कार्य किया है। इन इलाकों में वनगा का खासा प्रभाव रहा है। इसका असर आसपास के इलाकों में भी दिखाई देगा। 2014 में मिली जीत के बारे में बताते हुए शिवसेना एमपी अनिल देसाई कहते हैं कि यहां से श्रीनिवास को समर्थन मिलेगा।
बीजेपी-शिवसेना में कांटे की टक्कर
जनवरी में, बीजेपी सांसद चिंतामन वनगा के देहांत के बाद खाली हुई सीट पर शिवसेना ने बीजेपी को हैरान करते हुए चिंतामन वनगा के बेटे श्रीनिवास को टिकट दे दिया जिन्होंने कहा था कि उनके पिता के देहांत के बाद बीजेपी ने उन्हें नजरअंदाज किया। श्रीनिवास ने कहा कि मेरे पिता ने पार्टी के लिए 35 साल दिए लेकिन बीजेपी ने उनकी मृत्यु के बाद हमें नजरअदांज किया। उन्हें लगता था कि बीजेपी हमारे परिवार के बारे में सोचेगी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। श्रीनिवास ने कहा कि वो चुनाव प्रचार के दौरान भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने पिता के कार्यों को आदिवासी इलाके में और आगे ले जाना चाहते हैं।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए कर चुके हैं प्रचार
जबकि भाजपा विरार, बोइसर और नालासोपारा की उत्तर भारतीय आबादी को अपने पक्ष में करने की जुगत में है। पार्टी ने पूर्व कांग्रेस नेता राजेंद्र गवित को मैदान में उतारा है। राजेंद्र गवित के पक्ष में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी सरकार की मंत्री रीता बहुगुणा और दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी चुनाव प्रचार कर चुके हैं।
चिंतामन वनगा ने 2014 लोकसभा चुनाव में करीब ढाई लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने 5.3 लाख वोट हासिल किए थे जबकि बहुजन विकास अघादी के बलराम जाघव को 2.9 लाख वोट मिले थे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में पछाड़ा था। 36 साल के श्रीनिवास को उम्मीद है कि पिता के बाद उनको भी सहानुभूति के नाम पर वोट मिलेंगे और वो एक बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब होंगे।