पी चिदंबरम बोले- MEA का बयान कृषि कानूनों को पूरी बहस के बाद संसद में पारित किया गया, ये सच्चाई का एक तमाशा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन दिल्ली में अनवरत जारी है। वहीं केंद्र सरकार लंबे अरसे से कहती आई है कि ये तीनों कानून सदन में सर्वसहमति से पास होने के बाद ही लागू किया गया है। वहीं अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के उस बयान का विरोध किया जिसमें उसने दावा किया है कि कृषि कानूनों को पूरी बहस के बाद संसद में पारित किया गया था। चिंदबरम ने एमईए के इस बयान को 'सच्चाई का द्रोह' ("Travesty Of Truth") कहा। कांग्रेस नेता ने कहा "MEA के बयान में लिखा है, 'भारत की संसद ने पूरी बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किया।" यह सच्चाई का एक तमाशा है।
बता दें किसान आंदोलन को कई इंटरनेशनल हस्तियों का समर्थन मिल गया है। रिहाना, मिया खलीफा, मीना हैरिस और ग्रेटा थनबर्ग जैसे विदेशी सेलेब्रिटीज के किसानों के समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता में अपना समर्थन बढ़ाया। वहीं चिदंबरम ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए पूछा "राज्यसभा का रिकॉर्ड और वीडियो रिकॉर्ड दिखाएगा कि पूरी चर्चा नहीं हुई थी। जिसमें ये दिख जाएगा कि कुछ सांसदों के माइक्रोफोन बंद थे। अगर MEA सच्चाई को खराब करता है। जहां रिकॉर्ड है, वहां MEA के अन्य बयानों पर कौन विश्वास करेगा? "
वहीं बीते बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा "बड़े पैमाने पर हिट हुई है"। उन्होंने कहा, "हमारी सबसे बड़ी ताकत, आप इसे नरम शक्ति कह सकते हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा टूट गया है। यह उनकी मानसिकता है।"
बता दें किसान तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं! किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता शामिल है।
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