थम नहीं रहा है सरकार और न्यायपालिका के बीच का टकराव
एक बार फिर से सरकार और न्यायपालिका में टकराव सामने आया, सरकार ने छह जजों की नियुक्ति को आईबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए खारिज किया
नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति के मामले में एक बार फिर से सरकार और कोर्ट आमने सामने आ गए है। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार के उस वीटों पर सहमति देने से इनकार कर दिया था जिसमें केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क सामने रखा था। लेकिन न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव यहीं नहीं खत्म हुआ। अब सरकार ने जजों के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें नए काम देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि उसके पास आईबी के इनपुट्स हैं।
6 जजों की नियुक्ति रद्द
सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ महीनों में सरकार ने आईबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए छह जजों की ट्रिब्युनल्स और कमिशन में नियुक्ति से इनकार कर दिया है। इन सभी जजों में दो जज सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं, जबकि दो हाई कोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश हैं और दो हाई कोर्ट के पूर्व जज हैं।
अलग-अलग मामलों के लिए होनी थी नियुक्ति
जानकारी के अनुसार इन जजों के नाम न्यायपालिका की ओर से दिए गए थे ताकि इन्हें विभिन्न मामलों के निपटारे के लिए तैनात किया जा सके, जिसमें टेलीकॉम सेक्टर के विवाद, नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल एंड आर्म्स फोर्सेस ट्रिब्युनल, कंपटीशन अपालेट ट्रिब्युनल आदि हैं। इन सभी जजों के नाम को स्वीकृति के लिए अप्वाइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट के पास भेजा गया था। इनमें से चार पूर्व जजों के नाम को स्वीकृति नहीं दी गई, इन्हें आईबी रिपोर्ट के आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया, जबकि दो नामों को वापस एसीसी के पास भेज दिया गया लेकिन इसकी कोई वजह नहीं बताई गई है।
सरकार पर बाध्यता नहीं है
जिन दो जजों के नामों को बिना कारण बताए एसीसी के पास वापस भेजा गया है वो दोनों जज हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। सरकार ने आईबी की नकारात्मक रिपोर्ट के आधार पर इन जजों को आगे किसी भी तरह की तैनाती देने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें कि सेवानिवृत्त होने के बाद जजों की नियुक्ति के लिए सरकार पर बाध्यता नहीं होती है, सरकार पर कोर्ट के द्वारा सुझाए जजों के नामों को स्वीकार करने की बाध्यता नहीं होती है, लेकिन सरकार को इसकी वजह बतानी होती है।
रिपोर्ट के बाद भी कर दी नियुक्ति
यहां गौर करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज को को सरकार ने आईबी की नकारात्मक रिपोर्ट के बावजूद ट्रिब्युनल में नियुक्ति दी है। सूत्रों की मानें तो आईबी रिपोर्ट के आधार पर जिन जजों की नियुक्ती को रद्द किया गया है उसके पीछे कोई भी प्रमाणिक सबूत आईबी के पास नहीं है।
जज ने सरकार के फैसले पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर कहा कि आईबी ने किस आधार पर रिटायर्ज जजों के खिलाफ इनपुट दिए हैं, हम किसी एक जज के बारे में नहीं पूछ रहे हैं, यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इन जजों ने देश की अहम कोर्ट में अपनी सेवाएं दी हैं, जब मैं कॉलेजियम का सदस्य था तो मैंने इस तरह की कई रिपोर्ट्स देखी थी जो ज्यादातर अफवाह होती थी, लेकिन अगर सरकार ऐसा कर रही है तो यह काफी चिंताजनक है।