डॉक्टर बनना होगा कठिन, अब देनी होगी नई परीक्षा
नई दिल्ली। एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा नीट पास करना ही अब डॉक्टर बनने के लिए काफी नहीं होगा।
अब इसके अलाव नेशनल लाइसेन्शीइट एक्जामनेशन (एनएलई) की परीक्षा भी देनी होगी। तभी आप डॉक्टर बन पाएंगे। देश में मेडिकल एजुकेशन को रेग्युलेट करने वाली संस्था मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया ने इस बाबत एक नया प्रस्ताव तैयार किया है।
इस प्रस्ताव के मुताबिक एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद एनएलई की परीक्षा को पास करना होगा। साथ ही पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए भी नीट की परीक्षा पास करनी होगी।
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केंद्र सरकार मेडिकल एजुकेशन को और बेहतर बनाने के लिए नया बिल लाने की कोशिश में हैं। ऐसे समय में जब एमसीआई जब भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद में फंसा हुआ है तो इस बिल की अहमियत और ज्यादा हो जाती है।
एमसीआई की गतिविधियों को मॉनिटर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की देखरेख में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
इसका ड्रॉफ्ट बिल नेशनल इंस्टीट्यूशन आॅफ ट्रांसफ्रामिंग इंडिया नीति आयोग ने तैयार किया है। नीति आयोग के इस प्लान के तहत देश भर के 450 मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा के स्तर को नए आयाम तक पहुंचाया जाएगा। इसके नई परीक्षाओं से लेकर और कई बदलावों की बात कही गई है।
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नीति आयोग के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को एक नए स्तर पर ले जाना होगा। पहली बार देश में एनएलई की परीक्षा को अनिवार्य बनाया जाएगा।
उनके मुताबिक इस नियम के लागू होने के बाद मेडिकल कॉलेजों को अपना एजुकेशन सिस्टम और ज्यादा मजबूत बनाना होगा। सही तरीके से पढ़ाई करने वाले ही इस टेस्ट को पास कर पाएंगे और उन्हीं को लाइसेंस मिलेगा।
नए बिल के मुताबिक मेडिकल एजुकेशन को और ज्यादा दुरूस्त करने के लिए अंडर-ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर अलग-अलग मेडिकल एजुकेशन बोर्ड बनाए जाएंगे।
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नए बिल के मुताबिक मेडिकल एजुकेशन को और ज्यादा दुरूस्त करने के लिए अंडर-ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर अलग-अलग मेडिकल एजुकेशन बोर्ड बनाए जाएंगे।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों के लिए रैंकिंग सिस्टम को भी शुरू किया जाएगा। नए मेडिकल कॉलेजों को मिलने वाली मान्यता को लेकर भी नए नियम बनाए जाएंगे। बिल में इस बाबत सभी प्रस्ताव किए गए हैं।