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अब कैसी है बिहार के जहानाबाद की उस लड़की की ज़िंदगी, जिसका वीडियो वायरल हो गया था

इस सबके बीच वो मां बाप सबसे ज्यादा परेशान है जिनके बच्चे नाबालिग होते हुए भी जेल में है. दिनेश यादव का 13 साल का बेटा काको जेल में है. उनके पास स्कूल का फोटोकॉपी किया हुआ प्रमाण पत्र है जिसके हिसाब से बच्चे की उम्र 13 साल है.

दिनेश कहते हैं, "5 माह से दौड़ रहा हूं ये बताने के लिए कि मेरा बच्चा नाबालिग है. कोर्ट में सारा कागज भी जमा कर दिया है लेकिन फिर भी बच्चे को जेल में रखा है."

By BBC News हिन्दी
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"पूरे इंडिया में बेटी का वीडियो चल गया, सब चीज़ बर्बाद हो गया, सरकार को इसे नौकरी देनी चाहिए या नहीं? हम वीडियो देखे तो हमें चक्कर आ गया."

दुबली-पतली सुमिता देवी (बदला हुआ नाम) ने बहुत गुस्से में मुझसे ये कहा. उन्होने पहली बार मेरी तरफ देखकर बात की थी. वरना अपने बिना प्लास्टर के घर में मिट्टी से लिपी कच्ची ज़मीन में बैठकर वो मुझसे आंखें नीचे करके ही बात करती रही. मुझे उनकी नीची आंखें और धीमा स्वर बहुत परेशान कर रहा था.

पांव फैलाकर बैठी सुमिता के पैरों के पास उनकी बेटी रचना ( बदला हुआ नाम) बैठी है. रचना अगले महीने 18 साल की हो जाएगी.

आपने कुछ रिकार्ड तो नहीं किया?

रचना और उसकी नौवीं मे पढ़ने वाली चचेरी छोटी बहन अनीता (बदला हुआ नाम) बार-बार मुझसे पूछती है, "आप मोबाइल में कुछ रिकार्ड तो नहीं कर रही हैं?"

दरअसल सुमिता और रचना भारत में आ रही डिजिटल क्रांति में भुग्तभोगी हैं. बीते अप्रैल में बिहार के जहानाबाद में एक लड़की का वीडियो वायरल हुआ था. रचना वही लड़की है जिसके साथ जहानाबाद के काको थाने की डेढसैया पंचायत के इलाके में कुछ लड़कों ने यौन उत्पीड़न किया था.

स्थानीय पत्रकार मुशर्रफ बताते हैं, " ये मामला दब जाता अगर लड़के फेसबुक पर वीडियो अपलोड नहीं करते. उन्होने वीडियो अपलोड किया. जिसके बाद पुलिस की छानबीन में पता चला कि वीडियो जहानाबाद का है और बाद में बिजली के एक पोल से घटनास्थल और अभियुक्तों की पहचान कर ली गई."

जहानाबाद के पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार ने बताया, " इस मामले में सभी 13 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर ट्रायल किया जाएगा."

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'पढ़ा बनी वजह'

रचना बिहार बोर्ड में दसवीं की छात्रा थी. जून माह में निकले नतीजों में वो सफल नहीं हुई. बाद में उसने कम्पार्टमेंटल परीक्षा दी. कम्पार्टमेंटल परीक्षा के नतीजे आ चुके है लेकिन रचना को अपना रिजल्ट मालूम नहीं.

उनकी चचेरी बहन अनीता कहती हैं, "अब गार्जियन बाहर नहीं जाने देते. ये तो सहेली के चक्कर में बर्बाद हो गई. इसको अरविन्द ( अभियुक्तों में से एक) यही बोलकर अपने साथ ले गया कि सहेली ने मिलने बुलाया है. यही इसकी गलती थी."

उसी वक़्त रचना की तरफ देखकर मेरे मन में सवाल उठा कि दो छोटे कमरे वाले इस घर में दिनभर ' कैद' रहकर रचना क्या करती है, मेरे इस सवाल पर रचना की दादी कुसुमलता (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "खाना बनाती है और क्या करती है. पढ़ाई के चलते यह सब हो गया, घर में ही रहती तो नहीं होता.''

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वीडियो वाला मोबाइल

रचना के दो छोटे भाई हैं. पिता पंजाब में मजदूरी करते हैं और साल में एक बार छठ के मौके पर घर आते है. पिता के बाकी चार भाई जहानाबाद में ही मजदूरी करके अपनी रोटी का जुगाड़ करते हैं. रचना पूरे परिवार में पहली लड़की है जिसने पढाई की.

रचना के घर से कुछ दूरी पर ही भरथुआ गांव है. इसी गांव के ज्यादातर लड़के मामले में अभियुक्त हैं. रविवार का दिन है लेकिन नौजवान होते बच्चे खेलते कूदते नहीं दिखते. सबके हाथ में मोबाइल है.

पास जाने पर सफाई देते हुए कहते हैं, " ये सादा वाला मोबाइल है, इसमें वीडियो नहीं दिखता." साफ है वीडियो और उससे जुड़ी दहशत से ये गांव गुजर रहा है. यादव बहुल इस गांव में मंदिर में लोग इकट्ठा हैं. ये ज्यादातर यादव जाति के लोग है.

ये लोग कहते है, "ये सब नवास पासवान के चलते हुआ. वहीं बाहर से कमा कर वीडियो वाला मोबाइल लाया है." लोग जब ये बात कह रहे थे, तभी धोती कुर्ता पहने राजदेव पासवान दिखे.

ठेला चलाने वाले राजदेव पासवान रोजाना 24 रुपए खर्च करके गया रिमांड होम खाना लेकर जाते है. वहां उनका 13 साल का लड़का बंद है.

राजदेव पासवान मुझे पासवान टोला लेकर जाते हैं जो गांव के सबसे अंतिम छोर पर है. वहां 26 साल के नवास पासवान की मां मुनिया देवी है.

नवास पासवान दमन में मजदूरी करता था और मार्च में घर आया था. उनकी मां मुनिया कहती है, " मेरा बेटा बहुत सीधा है. वो सिम पर धरा गया है. वो तो मैदान (शौच के लिए) गया था लेकिन गांव के ही अमर ने उसका मोबाइल लेकर वीडियो बना लिया."

भरथुआ गांव के बुजुर्ग गांव के लड़कों की इस हरकत पर नाराज़ तो हैं लेकिन लड़की के प्रति भी उनमें बहुत गुस्सा है. पासवान टोले वाले कहते हैं कि " जमाना उल्टा आ गया है. औरत पाक साफ़ है और मर्द जेल में है."

इस सबके बीच वो मां बाप सबसे ज्यादा परेशान है जिनके बच्चे नाबालिग होते हुए भी जेल में है. दिनेश यादव का 13 साल का बेटा काको जेल में है. उनके पास स्कूल का फोटोकॉपी किया हुआ प्रमाण पत्र है जिसके हिसाब से बच्चे की उम्र 13 साल है.

दिनेश कहते हैं, "5 माह से दौड़ रहा हूं ये बताने के लिए कि मेरा बच्चा नाबालिग है. कोर्ट में सारा कागज भी जमा कर दिया है लेकिन फिर भी बच्चे को जेल में रखा है."

इस बाबत जहानाबाद एसपी मनीष कुमार से पूछे जाने पर वो कहते है, "13 अभियुक्तों में से 8 नाबालिग है. उम्र के प्रूफ के हिसाब से कोर्ट ने फ़ैसला किया है कौन कहां जाएगा."

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English summary
Now how is the life of the girl from Jehanabad in Bihar, whose video had become viral
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