क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

हवा में घंटों तक जीवित रह सकता है कोरोना वायरस, स्टडी में हुआ खुलासा

Google Oneindia News

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में करीब 2 लाख लोग संक्रमित हैं और इसको वैश्विक महामारी घोषित किया जा चुका है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका टीका बनाने की कोशिश में जुटे हैं। अभी तक ये माना जा रहा था कि ये वायरस सरफेस के जरिए ही इंसानों तक पहुंच सकता है लेकिन अब एक स्टडी में सामने आया है कि ये वायरस हवा में भी कई घंटे तक जीवित रह सकता है।

हवा में घंटों तक जीवित रह सकता है वायरस

हवा में घंटों तक जीवित रह सकता है वायरस

न्यू इंग्लैंड जर्नल मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस सरफेस के अलावा हवा में घंटों तक जीवित रह सकता है। खांसी या छींक में बाहर आए माइक्रोस्कोपिक ड्रॉपलेट्स करीब 3 घंटे तक हवा में अपना असर दिखा सकते हैं। यानी हवा में सक्रिय वायरस संपर्क में आने वाले व्यक्ति को अपना शिकार बना सकते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीज के शोधकर्ता कोरोना वायरस पर नजर रखे हुए हैं।

ये भी पढ़ें: कोरोना का खौफ : दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहनकर लिए सात फेरे, सारे रिश्तेदार भी दहशत में दिखेये भी पढ़ें: कोरोना का खौफ : दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहनकर लिए सात फेरे, सारे रिश्तेदार भी दहशत में दिखे

ये ड्रॉपलेट्स इंसान को अपना शिकार बना सकते हैं

ये ड्रॉपलेट्स इंसान को अपना शिकार बना सकते हैं

खांसी या छींक आने के कितने देर बाद तक ड्रॉपलेट्स इंसान को अपना शिकार बना सकते हैं, इसके बारे में भी उन्होंने बताया। वैज्ञानिकों ने डिवाइस के जरिए एरोसोल का हवा में छिड़काव किया। कोरोना वायरस प्लास्टिक या स्टील के सरफेस में तीन दिनों तक डिटेक्ट किए जा सकते हैं जबकि कार्डबोर्ड पर ये 24 घंटे तक एक्टिव रह सकते हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने एक व्यक्ति के खांसने या छींकने के लिए नेबुलाइज़र का इस्तेमाल किया और पाया कि हवा में तीन घंटे तक वायरस का पता लगाया जा सकता था।

SARS वायरस पर इसी तरह के परीक्षण किए गए

SARS वायरस पर इसी तरह के परीक्षण किए गए

NEJM स्टडी ने SARS वायरस पर इसी तरह के परीक्षण किए, जिससे पता चला कि दोनों वायरस समान व्यवहार करते हैं। लेकिन उनकी समान व्यवहार्यता के बावजूद ये नहीं पता चल पाया कि क्यों नोबेल कोरोना वायरस महामारी ने 200,000 लोगों को संक्रमित किया है और लगभग 8,000 मौतें हुई हैं, जबकि SARS महामारी से लगभग 8,000 संक्रमित हुए और लगभग 800 लोगों की मौत हुई। SARS-CoV-2 नए कोरोना वायरस का तकनीकी नाम है।

करीब 2 लाख लोग कोरोना वायरस से प्रभावित

करीब 2 लाख लोग कोरोना वायरस से प्रभावित

इसके पहले, एक अन्य स्टडी के दौरान सामने आया कि ब्लड ग्रुप ए कोरोना वायरस से जल्द संक्रमित हो सकता है जबकि ब्लड ग्रुप ओ को इस वायरस से संक्रमित होने में वक्त लगता है। चीन के वैज्ञानिकों ने ये रिसर्च झोंगनान अस्पताल में किया जिसमें 2173 संक्रमित मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए। इनमें से 206 लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण। ये सभी हुबेई प्रांत के अस्पतालों में भर्ती कराए गए थे। बता दें कि चीन में इस वायरस ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है।

English summary
novel coronavirus can survive in the air for several hours, reveals study
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X