सुरक्षा बल नहीं बल्कि डेटा ऐनालिस्ट कंपनियां देती है आतंकी घुसपैठ की जानकारी
बंगलूरू। क्या आप भी ये सोचते हैं कि भारतीय सेना दिन-रात सीमा के आसपास इसलिए चक्कर लगाती है कि वह ये जान सके कि पाकिस्तान से कौन सीमापार कर भारत में कदम रख रहा है। इसका जवाब जरूर चौंकाने वाला है लेकिन महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि ये पता लगाने का काम भारतीय सुरक्षा बल नहीं बल्कि डेटा ऐनालिस्ट कंपनिया करती है। डेटा एनालिस्ट कंपनियों ने ही बताया है कि भारतीय सीमा पर अगली घुसपैठ आज से 11- 12 दिन बाद रात में 2 बजे होने के आसार हैं। उन्होंने घुसपैठ के तरीके को भी लेकर दावा किया है। डेटा ऐनालिस्ट से जुड़ी एक कंपनी की मानना है कि ये घुसपैठ तब होगी जब सीमापार कुछ घुसपैठिये अपने मवेशी चराने आएंगे और इसी बहाने देश में घुसने की कोशिश करेंगे।
घुसपैठ
से
संबंधित
20
टैराबाइट
डेटा
है
उपलब्ध
हम
समझ
सकते
हैं
कि
ये
सुनकर
आपको
हैरानी
हो
रही
होगी।
लेकिन
आपको
बता
दें
कि
दंगों
या
फिर
सीमापार
घुसपैठ
के
पिछले
कई
मामलों
का
पता
लगाने
में
सुरक्षा
बल
और
पुलिस
नाकाम
रही
है।
अगर
दंगों
या
फिर
घुसपैठ
के
बारे
में
पहले
से
पता
लगाने
या
संभवना
जताने
की
बात
की
जाए
तो
इसका
सारा
क्रेडिट
डेटा
ऐनालिस्ट
कंपनियों
को
जाता
है।
गुड़गांव
की
एक
ड्रइवर
रहित
ट्रक
बनाने
वाली
कंपनी
'कॉर्न
सिस्टम'
के
उप
संस्थापक
तुषार
छाबड़ा
ने
बताया
कि,
हमारे
पास
सीमा
पर
गतिविधि
से
संबंधित
20
टेराबाइट
डाटा
है।
जिसमें
थर्मल
इमेजेस,
सीमा
के
नजदीक
जाने
वाले
लोगों
के
दृश्य
का
आंकड़ा,
रात
में
होने
वाली
गतिविधि
और
भी
काफी
चीजों
का
आंकड़ा
उपलब्ध
है।
इन
आंकड़ों
के
विश्लेषण
से
यह
पता
लगाने
में
आसानी
होती
है
कि
अगली
संभावित
घुसपैठ
कब
हो
सकती
है।
गुड़गाव
आधारित
ये
कॉर्न
कंपनी
सीमा
पर
घुसपैठ
रोकने
में
भी
भारतीय
सेना
की
मदद
करती
है।
मवेशी
चराने
के
बहाने
होती
है
ज्यादातर
घुसपैठ
एक
उदाहरण
देते
हुए
उन्होंने
अपने
विश्लेषण
करने
के
तरीके
को
बताया
कि
ज्यादातर
आतंकी
घुसपैठ
के
पहले
सीमा
के
पास
मवेशियों
को
चराने
लाते
हैं
जिससे
उन्हें
उन
जगहों
का
पता
चल
सके
जहां
माइन्स
बिछी
है।
कई
दिनों
के
आंकड़े
बताते
हैं
कि
एक
के
बाद
दूसरी
घुसपैछ
की
घटना
12
दिन
के
बाद
ही
होती
है।
कंपनी
के
पास
ज्यादातर
डाटा
बीएसएस,
सीआरपीएफ
व
अन्य
सुरक्षा
बलों
के
पास
के
जुटाए
गए
हैं।