दिल और दिमाग के बीच फंसे हैं नीतीश, ये है अगला प्लान
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मोदी सरकार के कार्यों को बेकार बताया है। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अभी तक मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद कुछ भी नहीं कहा।
नई दिल्ली। नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी है। वो कब क्या करेंगे ये किसी को पता नहीं है। इस बार सोनिया गांधी की तरफ से बुलाई गई लंच में ना आकर उन्होंने साफ कर दिया है कि अभी के दौर में विपक्ष में वो सबसे बड़े नेता हैं। वहीं उसके ठीक अगले दिन शनिवार को नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के साथ लंच में शामिल होकर ये साफ कर दिया कि उनके संबंध सत्ता पक्ष से भी खराब नहीं है।
मोदी सरकार पर नहीं साधा निशाना
सोनिया को ना और पीएम मोदी को हां को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। अफवाहों का बाजार गर्म है। नीतीश कुमार और बीजेपी के नजदीक आने की बात एक बार फिर से शुरू हो गई है। इसके पीछे वजह भी है केंद्र सरकार के तीन साल पूरे होने पर पूरा विपक्ष केंद्र सरकार को निशाने पर ले रहा है। बिहार में उनके साथ सरकार चला रही पार्टी आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मोदी सरकार के कार्यों को बेकार बताया है। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अभी तक मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद कुछ भी नहीं कहा है।
दिल कुछ और कहता है दिमाग कुछ और
बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल और दिमाग के बीच फंसे हुए है। राजनीति के मास्टर स्ट्रोक लगाने का माद्दा रखने वाले इस नेता को दिल तो कही और लेकिन दिमाग कुछ और कहता है। राजनीति के खेल में दिल से ज्यादा दिमाग की सुननी पड़ती है। अभी के दौर में नीतीश कुमार लालू यादव का साथ छोड़ना तो चाहते है लेकिन दिमाग इसकी इजाजत नहीं देता। क्योंकि अगर वो लालू को छोड़कर बीजेपी में जाते हैं तो विपक्ष का बड़ा नेता बनने का ख्वाब तो खत्म ही हो जाएगा।
विपक्ष एकमत नहीं है
दूसरी तरफ हालात ये है कि पीएम मोदी और बीजेपी की ताकत और हैसियत दोनों ही बढ़ती जा रही है। विपक्ष किसी मुद्दे पर एकमत नहीं है। मुश्किल है कि लालू यादव और अखिलेश यादव के रहते नीतीश कुमार को विपक्ष अपना नेता माने और 2019 में उनके नाम पर सभी साथ आ जाएं। इन हालातों के बीच नीतीश कुमार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
लंच में ना जाना बना चर्चा का विषय
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की रणनीति तय करने को लेकर सोनिया गांधी ने जो भोज दिया था उसमें लालू, ममता, सीताराम येचुरी, अखिलेश और मायावती समेत विपक्ष के बहुत सारे लोग शिरकत किए थे। लेकिन, इसमें नदारद थे बिहार के मुख्यमंत्री और विपक्ष की तरफ से सबसे भरोसेमंद चेहरे नीतीश कुमार। नीतीश की गैरमौजूदगी में उनकी पार्टी की नुमाइंदगी करने के लिए शरद यादव और केसी त्यागी जरूर मौजूद रहे। लेकिन, उनकी मौजूदगी से कहीं ज्यादा नीतीश की गैर मौजूदगी को लेकर चर्चा होती रही थी।