क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

हे विपक्ष!! तुम नीतीश से कैसे पार पाओगे?

गठबंधन की राजनीति के दिग्गज नेता के तौर पर उभर रहे हैं नीतीश कुमार, साथ रहकर भी साथ रहना आसान नहीं कांग्रेस-लालू के लिए

By Ankur
Google Oneindia News

नई दिल्ली। बिहार की राजनीति जिस तरह से लगातार करवट ले रही है उसने देश में विपक्ष की राजनीति को डांवाडोल कर दिया है। बिहार चुनाव के वक्त जिस तरह से महागठबंधन हुआ और कांग्रेस, जदयू और राजद एक साथ आकर जीत दर्ज की, उसने लगातार देश की सियासत में मजबूत हो रही भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती पेश की थी। यूपी में एक बार फिर जिस तरह से भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की थी उसके बाद विपक्ष के सामने बड़ी चुनौती थी कि वह विपक्ष को एकजुट करे, लेकिन हाल में नीतीश कुमार के रुख ने इस चुनौती को और कठिन कर दिया है।

लालू की रैली में लेंगे हिस्सा

लालू की रैली में लेंगे हिस्सा

माना जा रहा था कि 27 अगस्त को लालू प्रसाद यादव की प्रस्तावित भाजपा हटाओ देश बचाओ रैली में देशभर के विपक्षी दल एकजुटता का परिचय देंगे, कयास थें कि मायावती और अखिलेश यादव भी इस रैली में शामिल हो सकते हैं, लेकिन मायावती के रुख के बाद यह बैठक खटाई में पड़ती दिख रही है। लेकिन आज प्रेस कांफ्रेंस करके नीतीश कुमार ने लालू की रैली में हिस्सा लेने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अनौपचारिक न्योता इस रैली के लिए मिल गया है और औपचारिक न्योता भी मिल जाएगा, उन्होंने कहा कि वह निश्चित तौर पर इस रैली में हिस्सा लेंगे।

लालू को मनाया, कांग्रेस आईना दिखाया

लालू को मनाया, कांग्रेस आईना दिखाया

लेकिन नीतीश के इस बयान के पीछे के राजनीतिक संदेश को समझने की जरूरत है, एक तरफ जहां नीतीश लालू की रैली में शामिल होने की बात कही तो दूसरी तरफ कांग्रेस पर निशाना साधा और गुलाम नबी आजाद के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी। यही नहीं उन्होंने कहा कि विपक्ष एजेंडा तय करे, हर मुद्दे पर एजेंडा तय होना जरूरी है। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को अपना समर्थन देकर नीतीश ने विपक्ष के लिए और मुश्किल खड़ी कर दी है।

केंद्र का कई मुद्दों पर किया समर्थन

केंद्र का कई मुद्दों पर किया समर्थन

जिस तरह से नीतीश ने लगातार बगावती सुर दिखाए, पहले नोटबंदी का समर्थन, फिर रामनाथ कोविंद का समर्थन, जीएसटी के लॉच कार्यक्रम में अपने सांसद को भेजना, उसके बाद उन्होंने लालू की रैली में शामिल होने की बात कहकर एक बड़ा सियासी दांव खेला है। यहां गौर करने वाली बात है कि लालू प्रसाद यादव अपनी रैली के लिए अखिलेश, मायावती सहित तमाम नेताओं को न्योता पहले ही भेज चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने ही सहयोगी नीतीश कुमार को अभी तक औपचारिक न्योता क्यों नहीं भेजा।

लालू के सामने भी चुनौती

लालू के सामने भी चुनौती

नीतीश कुमार ने थोडा नरम थोड़ा गरम की राजनीति को बेहद अच्छी तरह से समझते हैं और उन्हें इस बात का अनुभव है कि कैसे गठबंधन की सरकार में अपने अस्तित्व को बनाए रखते हुए सहयोगी दलों के सामाने झुकना नहीं है। नीतीश एक तरफ जहां बड़े सहयोगी लालू को साध रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्होंने कांग्रेस को लेकर रुख साफ किया है कि खुशामद करना उनकी फितरत नहीं है। नीतीश ने कांग्रेस के राष्ट्रपति उम्मीदवार के साथ अपनी सहमति नहीं जताई और उन्होंने इससे अपनी नाराजगी भी इशारों-इशारों में जाहिर भी की है।

अहम होगा नीतीश का रुख

अहम होगा नीतीश का रुख

नीतीश ने कांग्रेस पर सबसे बड़ा हमला बोला और कांग्रेस पर गांधी और नेहरू की नीतियों को तिलांजलि देने की बात कही थी, उन्होंने कहा था कि हमें किसी से सीख लेने की जरूरत नहीं है। अपने रूख से लालू ने साफ कर दिया है कि वह गठबंधन में झुकने के लिए तैयार नहीं है। बहरहाल अब यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश आने वाले समय में गठबंधन की राजनीति को किस करवट ले जाते हैं।

Comments
English summary
Nitish Kumar turning out to be master politician of coalition era. He has given tough task to the opposition.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X