क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद क्या अब हो पाएगी 3 मार्च को फांसी?

will be heard in Supreme Court on March 5, will the culprits now be hanged on March 3? निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद क्या अब हो पाएगी 3 मार्च को फांसी?

Google Oneindia News

बेंगलुरु। निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में चारों दोषियों को 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाना हैं। लेकिन मंगलवार सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी होगी या चारों को एक साथ फांसी दी जाए, केन्‍द्र सरकार की इस याचिका पर सुनवाई 5 मार्च तक टाल दी है। कोर्ट द्वारा सुनवाई टलने पर एक बार फिर प्रश्‍न खड़ा हो गया है कि क्या अब तीन मार्च को निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी होगी या एक बार फिर इनकी फांसी टल जाएगी ?

फिर फंस सकता हैं ये कानूनी पेंच

फिर फंस सकता हैं ये कानूनी पेंच

बता दें निर्भया के तीन दरिंदे विनय, मुकेश और अक्षय के सभी कानूनी विकल्‍प समाप्‍त हो चुके हैं म‍हज चौथे दोषी पवन के पास अभी भी कानूनी विकल्‍प बाकी है लेकिन अभी तक उसने इसका प्रयोग नही किया है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि वह इन विकल्‍पों का इस्‍तेमाल करने का इच्‍छुक नहीं हैं । ऐसे में अब तक तय माना जा रहा था कि 3 मार्च को बिना व्यवधान के चारों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। लेकिन केन्‍द्र सरकार की इन चारों को अलग-अलग फांसी देने के याचिका पर पांच मार्च तक सुनवाई टल जाने के कारण तीन तारीख को फांसी होने पर फिर कानूनी पेंच फंसता नजर आ रहा है।

दया याचिका दाखिल करने वाले निर्भया के हत्‍यारें मुकेश ने निर्भया को लेकर दिया था ये बेशर्मी भरा बयानदया याचिका दाखिल करने वाले निर्भया के हत्‍यारें मुकेश ने निर्भया को लेकर दिया था ये बेशर्मी भरा बयान

इस कारण फिर टल सकती है फांसी!

इस कारण फिर टल सकती है फांसी!

कानून के जानकारों के अनुसार अगर केस में कोई भी मामला लंबित है और उस पर निपटारा करते हुए फैसला नहीं सुनाया जाता तब तक फांसी देना संभव नही होगा। बता दें पहले भी हाईकार्ट ने निर्भया की मां की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चारों दोषियों को सात दिनों अंदर सारे कानूनी विकल्पों के इस्‍तेमाल का समय दिया था लेकिन वो आदेश भी निष्‍फल साबित हुआ था क्योंकि केंद्र सरकार की चारों को अलग-अलग फांसी देने की अपली पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के कारण इन दरिंदों को फांसी से बचने का एक और मौका मिल गया था। दोबारा इस याचिका पर सुनवाई टलने पर ऐसा ही होता नजर आ रहा है।

वो चार महिलाएं जिन्‍हें दी जानी हैं फांसी, जानिए उनकी क्रूरतावो चार महिलाएं जिन्‍हें दी जानी हैं फांसी, जानिए उनकी क्रूरता

जस्टिस के अवकाश पर होने के कारण टली सुनवाई

जस्टिस के अवकाश पर होने के कारण टली सुनवाई

गौरतलब हैं कि निर्भया केस में दोषियों द्वारा बार-बार कानूनी चालें चलते हुए फांसी टलवाने में बार-बार कामयाब हो जा रहे थे। जिसके चलते केन्‍द्र सरकार ने चारों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की अपील कोर्ट में की थी। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि चारों दोषी साजिश के तहत एक के नाद एक अपने अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल कर रहे है। चारों दोषी कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिस पर मंगलवार को जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुबह 10.30 बजे इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस भानुमति के अवकाश पर होने के कारण पिछले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। इस मामले में कोर्ट पहले ही चारों दोषियों को नोटिस जारी कर चुका है।

जानिए कहां है निर्भया का छठां हत्‍यारा, जिसने सबसे ज्यादा ढाया था निर्भया पर जुल्‍म

इस विषय पर कानून में नहीं है स्‍पष्‍ठ निर्देश

इस विषय पर कानून में नहीं है स्‍पष्‍ठ निर्देश

क्रिमिनल लॉ के जानकारों के अनुसार क्रिमिनल लॉ में डेथवारंट पर स्टे और एक ही अपराध के दोषियों को अलग-अलग सजा देने की मांग के बारे में कोई स्‍पष्‍ठ निर्देश नहीं दिए गए हैं। केन्‍द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को दी गयी चुनौती में सुप्रीम कोर्ट विस्तृत सुनवाई करके इस मुद्दे पर स्‍पष्‍ठता दे सकता हैं। फांसी से जुड़ा ये महत्वपूर्ण तथ्‍य हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसमें जल्‍दबाजी भी नहीं कर सकती। इसलिए इसमें समय लगना तय हैं।

जानें अब तक किस राष्‍ट्रपति ने फांसी की दया याचिका पर सबसे ज्यादा दिखाई थी दयाजानें अब तक किस राष्‍ट्रपति ने फांसी की दया याचिका पर सबसे ज्यादा दिखाई थी दया

 दिल्ली जेल मैनुअल ही है सबसे बड़ा अडंगा

दिल्ली जेल मैनुअल ही है सबसे बड़ा अडंगा

बता दें दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी अपराध में एक से अधिक दोषियों को फांसी दी जा रही हो तो किसी एक दोषी की भी याचिका लंबित रहने पर फांसी पर कानूनी तौर पर रोक रहती है। निर्भया मामले में चार दोषी हैं और चारों ही फांसी से बचने के लिए कानूनी तरीके अलग-अलग समय पर इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसे में एक साथ फांसी पर तब तक रोक थी, जब तक चारों दोषी अपने सभी विकल्प इस्तेमाल नहीं कर लेते। सरकार ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि जिन दोषियों के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं, उन्हें फांसी दी जाए। इससे पहले, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चारों दोषियों को साथ ही फांसी दी जाएगी।

पवन ने कानूनी सलाहकार से मिलने से कर दिया था इंकार

पवन ने कानूनी सलाहकार से मिलने से कर दिया था इंकार

इन चारों दोषियों में सिर्फ पवन कुमार गुप्ता ही है, जिसके पास सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) का भी विकल्प बचा हुआ है। राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पवन ने भेज चुका हैं। अमूमन राष्ट्रपति के पास दया याचिका सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद लगाई जाती है, लेकिन पवन ने दया याचिका भेजने का दूसरा विकल्प पहले चुना था। दोषी पवन गुप्ता ने शनिवार को कोर्ट द्वारा नियुक्त अपने कानूनी सलाहकार रवि काजी से मिलने से इनकार कर दिया है। मौत के ताजा वारंट के बाद पवन गुप्ता के पास लंबित कानूनी उपायों का प्रयोग करने से संबंधित कोई बातचीत नहीं हो पाई थी।

दो बार पहले भी टल चुकी है फांसी

दो बार पहले भी टल चुकी है फांसी

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट चारों दोषियों के खिलाफ 2 बार डेथ वारंट जारी कर चुकी है। इसी साल 7 जनवरी को कोर्ट ने पहली बार डेथ वारंट जारी किया था जिसमें 22 जनवरी को चारों दोषियों को सुबह 7 बजे फांसी देने का कहा गया था।इसके बाद 17 जनवरी को कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी की तारीख आगे बढ़ाते हुए 1 फरवरी की थी और फांसी का वक्त सुबह 6 बजे का तय किया था। लेकिन दोषियों की ओर से कोर्ट और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जाने की वजह से इस दिन फांसी नहीं हो सकी थी।

निर्भया केस पर एक नजर

निर्भया केस पर एक नजर

बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की एक पैरामेडिकल स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी थी। दोनों फिल्म देखकर घर लौटने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान वो वहां से गुजर रहे एक प्राइवेट बस में सवार हो गए।इस चलती बस में एक नाबालिग समेत छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट और गैंगरेप किया था। इसके बाद उन्होंने पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था। बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था। यहां 29 दिसंबर, 2012 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम 'निर्भया' दिया गया था।

Comments
English summary
In the Nirbhaya case, the Supreme Court will hear the petition on March 5 on the petition regarding the execution of the four convicts separately.Due to the non-hearing of this petition, now the hanging of the four convicts of Nirbhaya on March 3 can be postponed once again.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X