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बीरभूम हिंसा मामले में NHRC ने लिया संज्ञान, आयोग की टीम करेगी जांच

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नई दिल्ली, 24 मार्च। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले रामपुरहाट में टीएमसी (TMC) नेता की हत्या (Birbhum case) के बाद भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई। हिंसा की इस घटना के बाद एक बार फिर से ममता सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल में कहीं अनुच्छेद 365 तो कहीं राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की जा रही है। मामले में गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब की है। वहीं मामले में एसआईटी जांच कर रही है। वहीं अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।

Birbhu case

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में टीमएसी (TMC) नेता व उप प्रधान की मौत के बाद हिंसक हुए लोगों ने 5 घरों के दरवाजे को बंद कर आग लगा दी थी। घटना गत सोमवार यानी 21 मार्च की है। जब बीरभूम के शाम बागतुई गांव में हुए बम हमले में पंचायत के उप प्रधान भादू शेख की मौत हो गई थी। उप प्रधान की मौत से गुस्साए लोगों ने गांव के कई घरों में आग लगा दी। संजू शेख के एक घर से सात जले हुए शव बरामद किए गए और एक व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई। गंभीर रूप से झुलसे दो अन्य लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। मामले में 11 लोग गिरफ्तार हुए हैं। इस घटना के बाद एक बार फिर से पश्चिम बंगाल में हिंसा की व्यापकता और गिरती कानून व्यवस्था सामने आई है।

मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की जा चुकी है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि इस एसआईटी का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। बीरभूम हिंसा मामले (Birbhum Violence Case) को लेकर उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात करने की बात कही है। अधीर रंजन ने कहा कि बंगाल में लोग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बीरभूम हिंसा की जांच एसआईटी से कराने का कोई फायदा नहीं है। इस घटना को लेकर मैं राष्ट्रपति से मिलूंगा। उन्हें राज्य में अनुच्छेद 355 लागू करने पर विचार करने का सुझाव दूंगा। मामले में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया स्वत: संज्ञान
पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट में की घटना को लेकर बंगाल की कानून व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission of India) ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम हिंसा मामले में स्वयं संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भारत ने कहा है कि बंगाल में हुई हत्याओं के मामले में एनएचआरसी की टीम जांच करेगी।

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ममता सरकार की छवि खराब करने का आरोप

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह घटना (Birbhum case) राज्य और राज्य सरकार की छवि खराब करने के लिए एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। वहीं तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भादु शेख क्षेत्र के एक चहेते नेता थे। उनकी मौत पर गांव के लोग आक्रोशित थे। यह तेजी से स्पष्ट हो रहा है कि शांतिपूर्ण बंगाल में एक मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। इस तरह तृणमूल को निशाना बनाते हैं। हत्या और उसके बाद की हत्याएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। हालांकि, इससे पहले बीरभूम के तृणमूल जिलाध्यक्ष और क्षेत्र के पार्टी कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल ने कहा कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी हो सकती है। जबकि राज्य के डीजीपी मनोज मालवीय के अनुसार प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि हिंसा दो पक्षों में पुरानी रंजिश के चलते हुई है। पुलिस ने इस हिंसा में राजनीति होने से इंकार किया है।

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English summary
nhrc team will investigate west bengal birbhum case
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