समीर वानखेड़े के खिलाफ अगले चार महीने तक कुछ नहीं कह सकते नवाब मलिक, जानें क्यों?
एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ कुछ नहीं कह सकते नवाब मलिक, जानें क्यों?
मुंबई, 29 नवंबर। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें नवाब मलिक को एनसीबी के समीर वानखेड़े के खिलाफ बोलने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट में इस केस पर नए सिरे से सुनवाई अगले साल 28 मार्च तक होगी तब तक नवाब मलिक अधिकारी समीर वानखेड़े या उसके परिवार के खिलाफ कोई बयान नहीं दे सकते हैं।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने जस्टिस माधव जामदार के सिंगल बेंच ऑर्डर को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के खिलाफ बोल सकते हैं क्योंकि वह एक पब्लिक ऑफिसर हैं।
सिंगल जज की बेंच ने कहा समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव के महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि के मुकदमे की अब से बारह सप्ताह बाद यानी 28 मार्च तक नए सिरे से सुनवाई होगी। इस तारीख तक वानखेड़े के खिलाफ कुछ न कहने पर नवाब मलिक का बयान यथावत रहेगा।
जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच द्वारा उन पर भारी पड़ने के बाद नवाब मलिक ने अपने बयान का मसौदा तैयार किया।सोमवार को वानखेड़े का केस लड़ रहे अधिवक्ता डॉ बीरेंद्र सराफ और दिवाकर राय ने कहा कि नवाब मलिक द्वारा दिया गया मसौदा सहमति समझौता ठीक था। समझौते के लागू होने के साथ, न्यायमूर्ति जामदार द्वारा पूर्व में पारित आदेश को रद्द कर दिया गया। वानखेड़े की ओर से दायर मुकदमे में अंतरिम अर्जी का जवाब 9 दिसंबर तक नवाब मलिक देंगे। कोर्ट ने वानखेड़े को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए 3 जनवरी तक का समय दिया है। अदालत ने अंत में कहा दोनों पक्षों के सभी अधिकार और विवाद खुले रखे गए हैं।