Youth Day: 'मुझे गर्व है कि मैं ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को...' पढ़ें, स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण
National Youth Day 2021 Swami Vivekananda Birthday: हर साल 12 जनवरी को भारत में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के दिन राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। महानतम समाज सुधारक, विचारक और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। भारत सरकार ने साल 1985 से 12 जनवरी को 'राष्ट्रीय युवा दिवस' मनाने की घोषणा की थी। तब से लेकर 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के दिन देश में युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूरे देशभर में स्कूलों और कॉलेजों में समारोह, भाषण और अन्य तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

12 जनवरी, 1863 को एक बंगाली परिवार में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। बचपन में उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्ता एक प्रसिद्ध वकील थे। स्वामी विवेकानंद कोलकाता के पास दक्षिणेश्वर में श्री रामकृष्ण से मिले। वह उनके शिष्य बन गए और उनके अस्वस्थ होने पर उनका पालन-पोषण किया, भले ही उनके स्वयं के पिता का निधन हो गया था। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, अन्य शिष्यों के साथ नरेंद्र नाथ दत्त ने संन्यास ले लिया था।
इसके बाद नरेंद्र नाथ दत्त भारत भर में एक लंबी यात्रा पर चले गए। जहां पहली बार जनता की गरीबी को देखकर वह हैरान रह गए। गरीबी की समस्या से लड़ने के लिए, उन्होंने एक मशीनरी लाने का सोचा। जिसे हम रामकृष्ण फाउंडेशन के रूप में जानते हैं, जिसमें शैक्षिक, आर्थिक और धार्मिक बेहतरी शामिल थी।
स्वामी विवेकानंद का शिकागो में दिया भाषण
स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। स्वामी विवेकानंद के नाम का जब भी जिक्र आता है, उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है। आइए जानें उनके भाषण में कही प्रमुख बातें...?
''अमेरिका के बहनों और भाइयों, आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय हर्ष से भर गया है। मैं आप सभी को दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की ओर से धन्यवाद कहता हूं। मैं आपका सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं... सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से भी आपको धन्यवाद देता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते,हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।''