राजस्थान के रेगिस्तान में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल नाग का सफल परीक्षण
राजस्थान में बुधवार को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने नाग मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। नाग तीसरी पीढ़ी की एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) है और डीआरडीओ ने इसका परीक्षण भारतीय सेनाओं को और ताकत देने के मकसद से किया है।
नई दिल्ली। राजस्थान में बुधवार को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने नाग मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। नाग तीसरी पीढ़ी की एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) है और डीआरडीओ ने इसका परीक्षण भारतीय सेनाओं को और ताकत देने के मकसद से किया है। इस मिसाइल को रेगिस्तान की परिस्थितयों में अलग-अलग रेंज और टाइम पर दो टैंक टारगेट को भेदने में सफलता हासिल की।
पिछले
वर्ष
भी
हुआ
था
इसका
एक
परीक्षण
रक्षा
मंत्रालय
की
ओर
से
जारी
बयान
में
कहा
गया
है
कि
एटीजीएम
मिसाइल
एटीजीएम
नाग
मिसाइल
ने
दो
अलग-अलग
रेंज
और
विभिन्न
परिस्थितयों
में
अपने
टारगेट
को
भेदने
में
सफलता
हासिल
की
है।
इस
सफल
परीक्षण
के
साथ
ही
अब
नाग
मिसाइल
को
सेना
में
शामिल
करने
का
रास्ता
भी
साफ
हो
गया
है।
डायरेक्टर
जनरल
(मिसाइल
और
स्ट्रेटिजिक
सिस्टम)
डॉ.
जी
सतीश
रेड्डी
ने
कहा
कि
इस
परीक्षण
के
बाद
यह
साबित
हो
गया
है
कि
एटीजीएम
से
संबंधित
यह
तकनीक
अलग-अलग
हालात
में
भी
टारगेट
को
हिट
करने
में
सक्षम
है'
इससे
पहले
पिछले
वर्ष
जून
में
भी
इस
मिसाइल
का
राजस्थान
में
ही
सफल
परीक्षण
किया
गया
था।
क्या
है
खासियत
- मिसाइल को दागे जाने के बाद रोक पाना असंभव ।
- नाग मिसाइल का वजन करीब 42 किलोग्राम है।
- नाग मिसाइल आठ किलोग्राम विस्फोटक के साथ चार से पांच किमी तक के लक्ष्य को आसानी से भेद सकती है।
- नाग मिसाइल की गति 230 मीटर प्रति सेकेंड है।
- इस मिसाइल को लॉन्च करने के बाद तुरंत बाद धुआं नहीं निकलता है।
- इसकी वजह से दुश्मन को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है।
- सबसे खास बात है कि इस मिसाइल को 10 साल तक बगैर किसी रखरखाव के प्रयोग किया जा सकता है।