26/11 Mumbai attacks: कसाब को यकीन था कि उसे फांसी नहीं होगी, लगाई थी शर्त
लखनऊ। 26/11 मुंबई हमलों को 9 साल बीत चुके हैं लेकिन लोगों के जेहन में आज भी उस दिन की यादें ताजा है। इस हमले का एक मात्र जिंदा पकड़े गए आरोपी अजमस कसाब ने पुलिस के सामने कई खुलासे किए थे। पूछताछ के दौरान कसाब कई जांच अधिकारियों से कभी-कभी खुलकर बातें करता था। मुंबई हमलों के मुख्य जांच अधिकारी रहे रमेश महाले ने वन इंडिया से हुई बातचीत में बताया कि कसाब को इस बात का यकीन था कि उसे फांसी नहीं होगी। दरअसल वह इसके पीछे लॉजिक यह देता था कि अफजल गुरु को आठ सालों में फांसी नहीं दे पाए तो मुझे क्या दे पाओगे। इसके लिए कसाब ने जांच अधिकारी से शर्त भी लगा ली थी। लेकिन कसाब शर्त हार गया। मुम्बई की स्थानीय अदालत ने 6 मई 2010 को कसाब को मौत की सजा सुनाई थी जिसे बम्बई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। कोर्ट ने जब कसाब को फांसी का सजा सुनाई थी तो उसे इस बात का कोई खास फर्क नहीं पड़ा था। क्योंकि उसको लगता था कि जब भारत सरकार अफजल गुरु को आठ साल में सजा नहीं दे पाई तो मुझे क्या देगी।
21 नवंबर 2012 को यरवदा जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया
20 नवंबर 2012 को जब रमेश महाले कसाब की बैरक में पहुंचे तो उन्होंने कसाब से पूछा कि मुझे पहचानते हो तो तो कसाब ने उत्तर दिया - रमेश महाले। फिर जब रमेश महाले ने कसाब को शर्त की बात याद दिलाई तो वह बोला हां उसे याद है। इसके बाद रमेश महाले ने कसाब को फांसी के लिए चलने को कहा। तब उसने कहा कि वह शर्त हार गया है। कसाब को 21 नवंबर 2012 को यरवदा जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था।
To the 166 lives lost...to over 239 injured...to the innumerable memories etched on the firmament forever & to Mumbai, the city which picked up its pieces & started stronger than ever - A Salute & A Bow of Gratitude from Mumbai Police! pic.twitter.com/TQrGHjewbp
— Mumbai Police (@MumbaiPolice) November 26, 2017