24 साल बाद सामने आई मायावती-मुलायम सिंह की यह पहली ऐतिहासिक तस्वीर
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मैनपुरी। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की शुक्रवार को मैनपुरी में चौथी रैली हुई। इस रैली के दौरान 24 साल बाद मायावती और मुलायम सिंह यादव एक मंच पर दिखाई दिए। मायावती गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी में मुलायम सिंह के लिए वोट मांगने पहुंचीं। मंच पर मुलायम सिंह के पहुंचने पर मायावती ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। रैली को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि, मुझे भारी बहुमत से आखिरी बार जीता देना, मायावतीजी आई हैं उनका स्वागत है। वो मेरे लिए वोट मांगने आई हैं मैं उनका एहसान कभी नहीं भूलूंगा।
मुलायम सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, बहुत दिनों के बाद हम और मायावती एक मंच पर हैं। आपसे कहना चाहते हैं मैनपुरी में आकर हम चुनाव में हमें भारी बहुमत से जिता देना। पहले जिताते आए हो, पहले से ज्यादा जिताना। मेरे भाषण आप बहुत सुन चुके हैं, ज्यादा नहीं बोलूंगा। आज महिलाओं का शोषण हो रहा है। बहुत जबर्दस्त तरीके से। इसके लिए हमने लोकसभा में सवाल उठाया। संकल्प लिया गया कि महिलाओं का शोषण नहीं होने दिया जाएगा। मैनपुरी के लोगों आखिरी बार हम आपके कहने पर खड़े हुए हैं। भारी बहुमत से हमें जिताना। जिताओगे क्या? इसलिए हम अपील करने आए हैं। आज हमारी आदरणीय मायावती जी आई हैं। हम उनका स्वागत करते हैं। मैं आपके इस अहसान को कभी नहीं भूलूंगा। मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा। समय-समय पर उन्होंने हमारा साथ दिया है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह के संबोधन के बाद मायावती ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, भीड़ देखकर लग रहा है कि आपलोग मुलायम सिंह यादवजी को रेकॉर्ड मतों से जिताएंगे। मायावती ने कहा कि, 1995 में हुए गेस्ट हाउस की घटना के बाद आपलोग के सवाल मुझसे होंगे, 'देशहित में कभी-कभी कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। देशहित में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है। मुलायम सिंह यादव ने समाज के हर वर्ग को अपने साथ जोड़ा है। खासकर पिछड़े वर्ग के लोगों को इन्होंने अपने साथ जोड़ा है। वह खुद भी पिछड़े वर्ग के हैं, श्री नरेंद्र मोदी की तरह नकली पिछड़े वर्ग के नहीं हैं।
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मायावती ने कहा कि, नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपनी सत्ता का दुरुपयोग करते हुए खुद को पिछड़ा वर्ग में शामिल करवाया था और पिछले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा भी उठाया था। पिछड़ों के वास्तविक नेता मुलायम सिंह यादव को चुनकर संसद भेजें, उनके उत्तराधिकारी अखिलेश यादव अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। इस चुनाव में बीजेपी की कोई नटकबाजी और जुमलेाजी काम में नहीं आएगी। इस बार नया नाटक 'चौकीदारी' भी इनको बचा नहीं पाएगी। मैनपुरी के लोग मुलायम को असली नेता मानते हैं, खासकर बैकवर्क क्लास के लोग। मुलायम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं। मुलायम सिंह असली पिछड़े वर्ग के हैं, वह मोदी की तरह फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं।
बता दें कि, इससे पहले मैनपुरी की रैली में मंच पर चार कुर्सियां लगाईं गई थीं। इसके बाद फिर तीन कुर्सियों को लगाए जाने से मुलायम के आने को लेकर सस्पेंस बना हुआ था। बताया जा रहा है कि पहले चार कुर्सियां मुलायम सिंह, मायावती, अखिलेश यादव और अजित सिंह के लिए लगाई गई थीं लेकिन बाद में एक कुर्सी हटा ली गई। समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने बताया कि जो कुर्सी हटाई गई थी वह अजित सिंह की थी। क्योंकि उनके इस रैली में शामिल होने का कार्यक्रम तय नहीं हुआ था।
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