उत्तर-मध्य भारत में मानसून को लेकर बुरी खबर, अमेरिकी एजेंसी की स्टडी में किया गया ये दावा
नई दिल्ली। उत्तर मध्य भारत में इस साल मानसून में लगातार कमी आएगी, यानी मानसून की बारिश धीरे-धीरे कम हो जाएगी। जिससे उत्तर-मध्य भारत में बारिश में काफी कम होगी। एक स्टडी में ये दावा किया गया है। अमेरिकन साइंटिफिक एजेंसी, राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) की यह स्टडी शुक्रवार को प्रकाशित हुई है। इसमे कहा गया है कि इस साल दक्षिण एशियाई मानसून क्षेत्र में मानसून कम दबाव तंत्र (एमएलपीएस) के काफी ज्यादा घटने का अनुमा है। जिससे उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी आएगी।
बारिश में होगी कमी
अध्ययन में उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस प्रभाव के एक निश्चित दायरे को मानें तो मानसून कम-दबाव प्रणालियों में अनुमानित कमी से उत्तर-मध्य भारत में होने वाली वर्षा में काफी कमी आएगी। राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने कहा है कि एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का एक कारक है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव फिर चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित, इसके दूरगामी प्रभाव होते हैं। अध्ययन में उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी का अनुमान व्यक्त किया गया है।
होंगे कई तरह के प्रभाव
मानसून कम दबाव तंत्र यानी एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में प्राथमिक वर्षा-उत्पादक सिनॉप्टिक-स्केल सिस्टम है और यह कृषि आधारित उत्तर मध्य भारत में होने वाली वार्षिक वर्षा के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। एमएलपीएस में किसी भी प्रकार के बदलाव के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी होते हैं।
देश के कई हिस्सों में बारिश जारी
इस समय देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश हो रही है। उत्तर भारत के अलावा पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, में मॉनसून सक्रिय है। देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं। असम में बाढ़ के चलते जनजीवन बुरी तरह से प्रभावि है। तकरीबन सारा प्रदेश बाढ की चपेट में है। वहीं बिहार में उफनती नदियां और बाढ़ के पानी ने 5 लाख से ज्यादा लोगों के जीवन को बेहाल कर दिया है। राज्य के 12 से ज्यादा जिलों में स्थिति नाजुक हो चली है।
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