मायावती-ममता-शरद यादव के बीच बढ़ी हलचल, कांग्रेस की बढ़ी मुश्किल
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम विपक्षी दल भाजपा की घेरेबंदी करने में लगातार जुटी हैं और इस बाबत वह अपनी रणनीति बना रही हैं। एक तरफ जहां माना जा रहा था कि कांग्रेस विपक्षी दलों की अगुवाई करेगी और अन्य दल उसके नेतृत्व में एकजुट होंगे, तो इस बीच कांग्रेस की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल हाल ही में कांग्रेस की ओर से साफ संकेत दिए गए थे कि वह राहुल गांधी के अलावा भी किसी अन्य दल के नेता को पीएम उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार कर सकती है। इस रेस में बसपा सुप्रीमो मायावती और टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे आगे थीं।
तीनों नेताओं के बीच बढ़ी हलचल
लेकिन जिस तरह से ममता बनर्जी, मायावती और शरद पवार के बीच सियासी हलचल बढ़ी है उसने कांग्रेस के खेमे में भी हलचल को बढ़ा दिया है। जिस तरह से कांग्रेस ने मायावती और ममता बनर्जी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार करने के संकेत दिए हैं उसके बाद पिछले दो दिनों में ममता बनर्जी और मायावती के बीच सियासी हलचल काफी बढ़ी है। सूत्रों की मानें तो टीएमसी शरद पवार, मायावती से लेकर अखिलेश यादव के संपर्क में है और माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों में दिल्ली में इन तमाम नेताओं की आपस में मुलाकात होगी।
ममता का बड़ा सियासी दांव
यही नहीं सूत्रों की मानें तो कोलकाता में ममता बनर्जी तमाम विपक्षी दल के नेताओं को एकजुट करने के लिए बड़े सियासी आयोजन की तैयारी कर रही हैं और वह इसमे तमाम नेताओं को न्योता देंगी। यही नहीं इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति के पद को लेकर होने वाले चुनाव पर भी चर्चा होगी। विपक्षी दल किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहते हैं कि उपसभापति का पद भाजपा की झोली में जाए, लिहाजा माना जा रहा है कि कांग्रेस टीएमसी के खाते में इस पद को डाल सकती है।
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तीन राज्यों के चुनाव पर है कांग्रेस की नजर
एक तरफ जहां ममता बनर्जी लगातार सियासी रणनीति बनाने में जुटी हैं तो दूसरी तरफ एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी मायावती के साथ बुधवार को एक लंबी बातचीत कर चुके हैं। साथ ही यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी मानसून सत्र के आखिरी दिनों में विपक्षी खेमे को मजबूत करने के लिए आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। आने वाले समय में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं, लिहाजा भाजपा के खिलाफ कांग्रेस अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
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