अल्पसंख्यक छात्रों को अब नहीं मिलेगी 'मौलाना आज़ाद स्कॉलरशिप', केंद्र सरकार ने किया बंद
अल्पसंख्यक छात्रों को अब मौलाना आजाद स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी। क्योंकि इस स्कॉलरशिप को केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है। इस बात की जानकारी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी की तरफ से दी गई है।
केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए संचालित की जाने वाली 'मौलाना आज़ाद फैलोशिप' को बंद कर दिया है। यह स्कॉलरशिप अल्संख्यक वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा (शोध) के लिए दी जाती थी। स्कॉलरशिप बंद करने के संबंध में जानकारी अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस सदस्य टी एन प्रतापन के सवाल के जवाब में लोकसभा में दिया। आपको बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग को प्री-मैट्रिक स्तर पर दी जाने वाली स्कॉलरशिप को भी बंद कर दिया था।
इसलिए
बंद
की
गई
स्कॉलरशिप
लोकसभा
में
कांग्रेस
सदस्य
टी
एन
प्रतापन
के
सवाल
जवाब
देती
हुईं
मंत्री
स्मृति
ईरानी
ने
कहा
कि
MANF
योजना
सरकार
की
तरफ
से
लागू
की
जा
रही
उच्च
शिक्षा
के
लिए
अन्य
फेलोशिप
योजनाओं
के
साथ
ओवरलैप
करती
है।
ऐसे
में
अल्पसंख्यक
छात्र
पहले
से
ही
ऐसी
योजनाओं
का
लाभ
उठा
रहे
हैं।
इसलिए
सरकार
ने
2022-23
से
MANF
योजना
को
बंद
करने
का
फैसला
किया
है।
2014
से
2022
के
दौरान
इतने
छात्रों
को
मिला
था
लाभ
लोकसभा
में
सवाल
का
जवाब
देते
हुए
ईरानी
ने
कहा
कि
यूजीसी
के
आंकडों
के
मुताबिक
2014-15
और
2021-22
के
बीच
इस
योजना
के
लिए
738.85
करोड़
रुपए
जारी
किए
गए
थे।
इस
दौरान
कुल
6,722
छात्रों
को
योजना
का
लाभ
मिला
था।
हालांकि,
प्रतापन
स्मृति
ईरानी
के
जवाब
से
संतुष्ट
नहीं
थे।
उन्होंने
केंद्र
सरकार
को
मुस्लिम
विरोधी
बताया।
साथ
ही
उन्होंने
कहा
कि
इस
योजना
के
बंद
होने
से
अल्पसंख्यक
वर्ग
के
छात्रों
का
शोध
कार्य
प्रभावित
होगा।
सच्चर
कमेटी
की
सिफारिशों
के
बाद
शुरू
हुई
थी
योजना
मौलाना
आजाद
स्कॉलरशिप
योजना
सच्चर
कमेटी
की
सिफारिशों
के
बाद
2005
में
शुरू
की
गई
थी।
उस
वक्त
केंद्र
में
मनमोहन
की
सरकार
थी।
आपको
बात
दें
कि
सच्चर
कमेटी
मुस्लिमों
के
समाजिक,
आर्थिक
और
शैक्षिक
स्तर
को
जानने
के
लिए
गठित
की
गई
थी।
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