Video: सियाचिन शहीद नायक मनिंदर सिंह, की सुरीली आवाज जो हमेशा दिलाएगी उनकी याद
श्रीनगर। लद्दाख क्षेत्र में आने वाला सियाचिन ग्लेशियर में 18 नवंबर को एक बार फिर सेना के चार जवानों की शहादत की वजह बन गया। चार जवानों के साथ ही इस हादसे में दो पोर्टर की भी जान चली गई। जिन चार बहादुर जवानों ने इस हादसे में अपनी जान गंवा दी,उसमें से एक थे नायक मनिंदर सिंह। नायक मनिंदर का एक वीडियो ट्विटर पर आया है। इस वीडियो में उन्हें काफी सुरीले अंदाज में गाना गाते हुए सुना जा सकता है।
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18 साल में बने सेना का हिस्सा
मनिंदर का वीडियो सामने आने के बाद लोग कह रहे हैं कि वह एक बेहतरीन प्लेबैक सिंगर बन सकते थे लेकिन उन्होंने देश सेवा को चुना। वीडियो से साबित हो जाता है कि वह जितने बहादुर सैनिक थे उतने ही उम्दा गायक भी थे। 24 अगस्त 1990 को जन्म लेने वाले मनिंदर की उम्र बस 18 साल ही थी जब उन्होंने सेना को ज्वॉइन किया था। सूत्रों की ओर से भी इस बात की जानकारी दी गई है कि मनिंदर को प्लेबैक का चांस मिला था। मगर उन्होंने इसकी जगह देश की सेवा करने का फैसला लिया।
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पिता भी हुए थे देश के लिए शहीद
जिस तरह से मनिंदर ने देश की सेवा में अपने प्राण त्याग दिए, उसी तरह से उनके पिता सुखदेव सिंह भी देश सेवा में शहीद हो गए थे। नॉर्दन आर्मी कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने नायक मनिंदर सिंह के वीडियो को रि-ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, 'भारत देश के सपूत आपको सलाम।' नायक मनिंदर सिंह पंजाब के गुरदासपुर के फतेहगढ़ के रहने वाले थे। गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आए थे।
अब तक 860 से ज्यादा सैनिक शहीद
सन् 1984 से सियाचिन में मौसम की वजह से 860 से ज्यादा सैनिकों की जान चली गई है। तीन साल पहले फरवरी 2016 में यहां पर सबसे बड़ी त्रासदी हुई थी। उस समय आए तूफान में सेना के करीब 20 जवान शहीद हो गए थे। एक जवान लांस नायक हनुमनथप्पा करीब एक हफ्ते तक जिंदा रहे थे लेकिन इसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था। 21 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि पर्यटक सियाचिन की कुमार पोस्ट तक जा सकते हैं।
दुनिया नहीं मानती है सियाचिन का वजूद
साल 1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल में संघर्ष शुरू हुआ तो सियाचिन भी इसका हिस्सा था। सियाचिन दुनिया का हाइएस्ट वॉर जोन है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया इस हिस्से को मानने से ही इनकार कर देती है। वर्ष 1984 में पाक ने 33,000 वर्ग किमी तक फैले इस इलाके पर कब्जे की कोशिश की और अपने सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया। इसके बाद भारत की सरकार नींद से जागी और फिर इंडियन आर्मी ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत लांच किया।