गृह मंत्रालय ने बताया 'शहीद' शब्द परिभाषित ही नहीं
नई दिल्ली। भारत सरकार की ओर से शहीद आखिर किसे कहा जाए, कौन शहीद होता है इस बात के लिए शब्द शहीद को परिभाषित नहीं किया है। यह हमने नहीं खुद गृहमंत्रालय ने कहा है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना में गृहमंत्रालय ने बताया है कि शहीद शब्द को भारत सरकार ने कभी परिभाषित ही नहीं किया।
साथ ही गृह मंत्रालय ने कहा है कि जवानों को मुआवजा औऱ सम्मान प्रदान करने में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है। सरकार द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा रक्षा बलों में दोहरा मानक नहीं अपनाया जाता है तथा न न ही कोई फर्क किया जाता है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा रक्षा बलों की सेवा शर्तें विभिन्न अधिनियमों तथा नियमों के तहत ही चलती है।
जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र बलों के ऐसे कर्मियों को जिनकी ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई हो। उनके सम्बन्ध में गृह मंत्रालय की ओर से कोई आदेश या अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
आपको बता दें कि दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि एक ही कार्य में लगे सेवा एवं अर्धसैनिक बलों के जवानों की जान जाने की स्थिति में क्या सेना का जवान ‘शहीद' कहलाने का हकदार है जबकि अर्धसैनिक बलों के ऐसे जवान सिर्फ मृतक घोषित होते हैं।