मनोहर पर्रिकर: जब पूछा गया कि सूट और टाई क्यों नहीं पहनते तो दिया था यह जवाब
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पणजी। गोवा के पूर्व सीएम और देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, अब हमारे बीच नहीं है। पर्रिकर पहले आईआईटीयन थे जिन्होंने सक्रिय राजनीति को अपनाया और यहां पर अपनी सादगी से लोगों का दिल जीता। स्कूटी और दो गार्ड्स के साथ कहीं सफर करने वाले पर्रिकर का पहनावा भी बहुत ही सादा था। अक्सर उन्हें किसी भी बड़े कार्यक्रम में कोल्हापुरी चप्पल और शर्ट पैंट में देखकर कुछ लोग हैरान हो जाते तो कुछ उनसे सवाल पूछे बिना नहीं रह पाते। पर्रिकर से एक बार जब पूछा गया कि वह सूट और टाई क्यों नहीं पहनते हैं तो उन्होंने इस पर बड़े ही अलग अंदाज में जवाब दिया था।
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रक्षा मंत्री होते हुए भी सादे कपड़े
अक्टूबर 2016 में मुंबई में एक कार्यक्रम हुआ और इस कार्यक्रम में पहली बार पर्रिकर से उनके सादे कपड़ों के बारे में सवाल किया गया। पर्रिकर ने भी बड़ी सादगी से जवाब दिया। पर्रिकर ने कहा कि वह पश्चिमी कपड़ों जैसे सूट और टाई में असहज महसूस करते हैं। सवाल पूछने वाले उनसे यह भी कहा कि सरकार में एक तबका है जो सोचता है कि इतना बड़ा पोर्टफोलियो होने के बाद भी पर्रिकर का पहनावा अत्यंत ही साधारण है। पर्रिकर ने कहा, 'पूर्व में जितने भी रक्षा मंत्री हुए हैं मैं उनकी तरह सूट नहीं पहन सकता क्योंकि मेरे कपड़े बहुत अच्छे हैं।'
सादगी वोट हासिल करने का जरिया नहीं
इसी तरह से एक कार्यक्रम में मशहूर जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई से पर्रिकर ने कहा था कि देश का रक्षा मंत्री होने के नाते उन्हें कभी-कभी चिंता होती है कि वह कोल्हापुरी चप्पल पहनते हैं। पर्रिकर ने अपनी सादगी के बारे में जवाब देते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा था। पर्रिकर ने कहा था, 'मैं बाकी आईआईटीयंस की तरह अपनी सादगी की वजह से वोट हासिल करने में यकीन नहीं रखता हूं।'
तन दिल्ली में लेकिन मन गोवा में ही
पर्रिकर की मानें तो वह दिल्ली सिर्फ रक्षा मंत्रालय का कार्यभार मिलने की वजह से आए थे वरना उन्हें गोवा से बेहतर जगह कोई और नहीं लगती है। पर्रिकर टाइ को गले का बंधन कहते थे। विशेषज्ञों ने उनके साथ बिताए समय को याद करते हुए बताया कि एक बार जब उनसे टाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह तो गले का बंधन है और मुझे इस वजह से टाई पहनना कभी अच्छा नहीं लगा।
देश के पहले आईआईटीयन जो बने राजनेता
मनोहर पर्रिकर ने आईआईटी बॉम्बे से सन् 1978 में मेटाल्लर्जिकल इंजीनियरिंग और मैटेरियल साइंस में बीटेकी की डिग्री ली थी। वह देश की राजनीति में पहले ऐसे आईआईटी ग्रेजुएट थे जो विधायक चुने गए थे। पर्रिकर को जानने वालों की मानें तो जब वह दिल्ली आए थे तो उनके घर में एक भी नौकर नहीं था और वह अपना हर काम खुद करते थे।