जानिए, कौन है वो युवक जिसे सेना के जवानों ने जीप से बांधकर 9 गांवों में घुमाया
रास्ते में कुछ लोगों ने जवानों से उसे रिहा कर देने की अपील की लेकिन जवानों ने पत्थरबाज बताते हुए उसे छोड़ने से मना कर दिया। बाद में शाम करीब साढ़े सात बजे गांव के सरपंच के सामने उसे रिहा किया गया।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों के साथ बदसलूकी करने वाले कश्मीरी युवकों का वीडियो सामने आने के दो दिन बाद एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में दिखा कि सेना के जवानों ने एक युवक को जीप के आगे बांधकर सड़कों पर घुमाया। जिस युवक को बांधा गया था उसका बयान सामने आया है।
CM महबूबा मुफ्ती ने मांगी रिपोर्ट
वीडियो को लेकर बवाल मचा तो राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तत्काल इस पर पुलिस से रिपोर्ट तलब की। जबकि सेना ने वीडियो की जांच करने की बात कही। लेकिन 26 साल के युवक फारूक अहमद डार ने इंडियन एक्सप्रेस से अपने साथ घटी घटना की जानकारी दी।
चार घंटे तक घुमाया
फारूक अहमद ने कहा, 'मैं पत्थरबाज नहीं हूं। अपने पूरी जीवन में मैंने कभी पत्थर नहीं फेंका। मैं एक टेलर के तौर पर काम करता हूं और शॉल में कढ़ाई करता हूं। मुझे थोड़ा बहुत लकड़ी का काम भी आता है।' उसने बताया कि सीआरपीएफ के जवानों ने उसे 9 अप्रैल को सुबह 11 बजे से लेकर करीब 4 घंटों तक सड़कों पर घुमाया।
25 किलोमीटर तक घुमाते रहे
घटना का जिक्र करते हुए उसने कहा, 'मुझे करीब 25 किलोमीटर के दायरे में घुमाया गया। उत्लीगाम से सोनपा, नाजान, चकपुरा, हांजीगुरू, रावलपुरा, खोसपुरा अरीजाल से होते हुए जीप हर्दपंजू स्थित सीआरपीएफ कैंप पर आकर रुकी।' उसने कहा कि वह किसी तरह की शिकायत नहीं दर्ज कराएगा।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं को देखकर रुका था
फारूक अहमद ने बताया कि घटना वाले दिन वह अपने एक रिश्तेदार के क्रिया-कर्म में शामिल होने जा रहा था। रास्ते में कुछ महिलाएं चुनाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं, वही देखकर वहां रुका और उसी समय सीआरपीएफ के जवान वहां पहुंच गए। उसने कहा, 'मैं बाइक से उतर पाता उससे पहले ही जवानों ने मुझे पकड़ लिया और जमकर पीटा। उसके बाद मुझे जीप में बांधकर 9 गांवों में घुमाया। मेरे सीने पर सफेद कागज चिपकाया गया था जिस पर मेरा नाम लिखा था।'
|
सरपंच के सामने रिहा किया
उसने बताया कि रास्ते में कुछ लोगों ने जवानों से उसे रिहा कर देने की अपील की लेकिन जवानों ने पत्थरबाज बताते हुए उसे छोड़ने से मना कर दिया। बाद में शाम करीब साढ़े सात बजे गांव के सरपंच के सामने उसे रिहा किया गया।