उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के चुनाव में होता है बस ये 1 अंतर
नई दिल्ली। भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव वैंकैया नायडू और गोपालकृष्ण गांधी के बीच में लड़ा जाएगा। अगस्त में होने वाले इस चुनाव के लिए सोमवार को भाजपा ने वैंकैया नायडू को चुना है। आपको बताते चलें की सोमवार को ही भारत के राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव हुआ था, जिसमें एनडीए के रामनाथ कोविंद की जीत होना लगभग तय है, जबकि यूपीए की मीरा कुमार हारती हुई दिख रही हैं। वहीं दूसरी ओर, उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले ही यह माना जा रहा है कि वैंकैया नायडू चुनाव जीत जाएंगे।
उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव में अंतर
उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया भी राष्ट्रपति चुनाव जैसी ही है। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है, जिसमें दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं। हालांकि, दोनों चुनावों में सिर्फ यही अंतर होता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में विधायक इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा नहीं होते हैं यानी वह उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोट नहीं करते हैं। चुनाव आयोग के अनुसार इस साल के चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा से 233 चुने गए और 12 नॉमिनेटेड सदस्य हैं। इसके अलावा लोकसभा से 543 चुने गए और 2 नॉमिनेटेड सदस्य हैं। इस तरह इलेक्टोरल कॉलेज में कुल सदस्यों की संख्या 790 है।
वोट वैल्यू
उपराष्ट्रपति के चुनाव में हर वोट की वैल्यू 1 होती है। चुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम वाला बैलेट पेपर इस्तेमाल किया जाता है। बैलेट पेपर पर किसी भी पार्टी का कोई निशान या चिन्ह नहीं होता है। इसमें दो कॉलम होते हैं- एक पर उम्मीदवार का नाम होता है और दूसरा वरीयता के क्रम को चिन्हित करने के लिए होता है। जीतने वाले उम्मीदवार को वोटों का जरूरी कोटा पूरा करना होता है, जो कि कुल वैध वोटों का 50 फीसदी होता है।
योग्यता
- उपराष्ट्रपति को भारत का नागरिक होना जरूरी है।
- उसकी उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए।
- राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए योग्य होना चाहिए।
- उपराष्ट्रपति के पास भारत सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य स्थानीय सरकार के तहत कोई ऑफिस ऑफ प्रॉफिट नहीं होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति चुनाव शेड्यूल
नामांकन
की
तारीख-
4
जुलाई
नामांकन
की
आखिरी
तारीख-
18
जुलाई
चुनाव
की
तारीख-
5
अगस्त
मतगणना-
5
अगस्त