राजघाट को तोड़े जाने पर बवाल, NBA ने लगाए शिवराज सरकार पर आरोप
मेधा पाटकर पुनर्वास न होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार सुबह बेमियादी उपवास पर बैठने वाली थी। वे जब वहां पहुंची तो देखा कि राजघाट को तोड़ दिया गया है और अस्थि कलशों को जेबीसी में ले जाया जा रहा है।
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट को तोड़ने की कार्रवाई को नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या करार दिया है। नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर की जा रही है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि 31 जुलाई से पूर्व बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डूब क्षेत्र में आने वाले गांव के निवासियों का पुनर्वास किया जाए। नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ने से राजघाट भी डूब क्षेत्र में आने वाला था।
मेधा पाटकर पुनर्वास न होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार सुबह बेमियादी उपवास पर बैठने वाली थी। वे जब वहां पहुंची तो देखा कि राजघाट को तोड़ दिया गया है और अस्थि कलशों को जेबीसी में ले जाया जा रहा है। इसका उन्होंने विरोध किया। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, "राजघाट को हटाना था तो उसकी बेहतर तैयारी की जानी चाहिए, महात्मा गांधी लोगों के दिल में बसते हैं। बड़वानी में जो कृत्य हुआ है, वह महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या जैसा है।"
गौरतलब है कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 138 मीटर की गई है और उसके सारे गेट 31 जुलाई तक पुनर्वास के बाद बंद होना है, इसके चलते मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर पानी में डूब जाएंगे। इसके विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन लंबे समय से चल रहा है, यह समाधि स्थल इस आंदोलन का केन्द्र माना जाता है। लेकिन अब इसे यहां से हटा दिया गया है।
गौरतलब है कि बड़वानी में बनाई गई 'राजघाट' समाधि में महात्मा गांधी ही नहीं कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव रहे महादेव देसाई की देह राख (एश) रखी हुई थी। इस स्थान पर गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी तीनों महान विभूतियों की देह राख जनवरी, 1965 में लाए थे और समाधि 12 फरवरी, 1965 को बनकर तैयार हुई थी।