महाराष्ट्र: फ्लोर टेस्ट से पहले भाजपा ने क्यों चुना इस्तीफे का रास्ता
मुंबई। महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे पर आखिरकार आज विराम लग गया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। प्रदेश में जिस तरह से असामान्य परिस्थिति में सरकार का गठन हुआ था उसके बाद से लगातार भाजपा के इस कदम पर सवाल खड़े हो रहे थे। विपक्ष की ओर से चौतरफा घिरने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह राज्यपाल के पास जाएंगे और अपना इस्तीफा सौंप देंगे। जिस तरह से फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा देने की बात कही उसके बाद पार्टी एक बार फिर से महाराष्ट्र में हुई किरकिरी पर जरूर मंथन करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बदला गणित
आज सुप्रीम कोर्ट इस पूरे विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए बुधवार को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया उसके बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ गई थी। कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने शीर्ष स्तरीय बैठक की। माना जा रहा है कि इस बैठक में इस महाराष्ट्र में हुए सियासी उठापटक पर चर्चा की गई। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोगों के बीच यह संदेश गया कि भाजपा फ्लोर टेस्ट से भाग रही थी। ऐसे में भाजपा और किरकिरी से बचना चाहती थी जिसके चलते फडणवीस ने इस्तीफा सौंपने का फैसला लिया।
अजित पवार ने भी बीच राह में छोड़ा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा के पास सिर्फ अजित पवार का ही सहारा बचा था। लेकिन खुद अजित पवार ने फडणवीस से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। लिहाजा कल होने वाले फ्लोर टेस्ट में जाने का भाजपा के पास कोई औचित्य नहीं बचा। सोमवार को ग्रैंड हयात होटल में विधायकों की परेड हुई, जिसमे दावा किया गया कि 162 विधायकों इसमे मौजूद थे। लिहाजा अगर बावजूद इसके भाजपा फ्लोर टेस्ट के लिए जाती तो लोगों के बीच साफ संदेश जाता कि पार्टी वह विधायकों की खरीद-फरोख्त औत जोड़तोड़ करके नंबर इकट्ठा करना चाहती है।
चौतरफा घिरी थी भाजपा
एक तरफ जहां भाजपा महाराष्ट्र में विपक्ष की एकजुटता से लड़ रही थी तो दूसरी तरफ दिल्ली में भाजपा, शिवसेना, एनसीपी ने मोर्चा खोल रहा था। आज संविधान दिवस था, ऐसे में आज विशेष सत्र का आयोजन किया गया था, लेकिन विपक्ष ने इसका बहिष्कार करके भाजपा पर और दबाव बनाने का काम किया। हर तरफ से बनते दबाव के बीच भाजपा के पास अब साख बचाने के लिए देवेंद्र फड़णवीस के इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
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