महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनने से पहले BJP को झटका, अपनों की बगावत से हारी चुनाव
शिवसेना की सरकार बनने से पहले ही भाजपा अपने दो नेताओं की बगावत के कारण एक और चुनाव हार गई है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों नए-नए रंग देखने को मिल रहे हैं। विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने के बावजूद भाजपा सरकार नहीं बना पाई और उसके सबसे बड़े सहयोगी दल शिवसेना ने उसका साथ छोड़ दिया। इसके बाद शिवसेना को लगा कि वो कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर आसानी से अपनी सरकार बना लेगी, लेकिन तीनों दलों के बीच अभी तक सरकार गठन को लेकर कोई स्पष्ट और एकमत रुख सामने नहीं आया है। इस बीच महाराष्ट्र में भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है। शिवसेना की सरकार बनने के कयासों के बीच भाजपा अपने नेताओं की बगावत के कारण एक और चुनाव हार गई है।
दो पार्षदों ने बदला पाला
भारतीय जनता पार्टी को मराठवाड़ा के लातूर नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए हुए चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के लिए इस चुनाव में मिली हार इसलिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि 70 पार्षदों वाले लातूर नगर निगम में भगवा पार्टी के पास पूर्ण बहुमत था, इसके बावजूद वो चुनाव हार गई। दरअसल चुनाव में भाजपा के दो पार्षदों ने पाला बदलते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर दिया। 70 सीटों वाले लातूर नगर निगम में भाजपा के पास 36 और कांग्रेस के पास 33 पार्षद हैं। वोटों की गिनती में कांग्रेस प्रत्याशी को 35 जबकि भाजपा के उम्मीदवार को 33 वोट ही मिले।
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कांग्रेस को 35 और भाजपा को मिले 33 वोट
शुक्रवार को मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए पार्षदों से हाथ उठवाकर चुनाव कराया गया, जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की। मेयर पद के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रांत गोजमुंडे को 35 वोट मिले। वहीं भाजपा के शैलेश गोजमुंडे के पक्ष में 33 वोट पड़े। लातूर नगर निगम में भाजपा की हार को पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में मेयर का कार्यकाल ढाई साल के लिए होता है। ढाई साल पहले हुए लातूर नगर निगम के चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। 36 पार्षदों के साथ भाजपा ने मेयर पद पर भी जीत का परचम लहराया था।
कांग्रेस का गढ़ है लातूर
लातूर नगर निगम में मिली हार को देखकर कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने से चूकने का असर अब स्थानीय चुनावों में भी भाजपा पर पड़ता नजर आ रहा है। लातूर जिले को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर दिवंगत कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का प्रभाव रहा है। विलासराव देशमुख के निधन के बाद उनके बड़े बेटे अमित देशमुख ने अपने पिता की विरासत संभालते हुए लातूर में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन यहां लगातार भाजपा का दबदबा बढ़ता गया।
सरकार बनाने से भी चूकी भाजपा
वहीं, महाराष्ट्र में भी सरकार गठन को लेकर अभी तक पेंच फंसा हुआ है। आपको बता दें कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। महाराष्ट्र में इस समय भाजपा के पास 105, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। सरकार में 50-50 फॉर्मूले पर सहमति ना बनने के कारण शिवसेना, एनडीए से अलग हो गई और सबसे बड़ा दल होने के बावजूद भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने से चूक गई। महाराष्ट्र में सरकार को लेकर फिलहाल शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच बातचीत चल रही है।
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