Maha Political Twist: राजनीति के 'स्टालवर्ट' ही हैं शरद पवार, साबित किया-'बाप तो आखिर बाप ही होता है'
मुंबई। आखिरकार महाराष्ट्र में रातों-रात मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ लेने के महज तीन दिन बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया, सुप्रीम कोर्ट ने आज ही बुधवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने उसका इंतजार किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे पास बहुमत नहीं है इसलिए मैं त्यागपत्र दे रहा हूं, देवेंद्र फडणवीस से पहले अजित पवार डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे चुके थे।
चाचा के आगे भतीजे के नहीं चली
फडणवीस के इस्तीफे के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है और एक बार फिर से शरद पवार का पावर काम आ गया और उनके सामने उनके भतीजे अजित पवार बौने ही साबित हुए, जिन विधायकों के दम पर अजित पवार ने बीजेपी का दामन थामा था, उन्हीं विधायकों ने उनका साथ छोड़कर शरद पवार का हाथ पकड़ लिया जिसके बाद अलग-थलग पड़े अजित पवार के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
राजनीति के स्टालवर्ट ही हैं शरद पवार...
महाराष्ट्र की राजनीति के 'स्टालवर्ट' कहे जाने वाले शरद पवार को बीते शनिवार सुबह अपने भतीजे अजित पवार के कारण झटका जरूर लगा था लेकिन शनिवार शाम तक राज्य के समीकरण बदल चुके थे, पवार, शिवसेना और कांग्रेस के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अपने बिखरे विधायकों को एक जुट करने का भी काम कर लिया, वो भी पूरे भरोसे के साथ , पवार के 50 वर्ष के राजनीतिक अनुभव के सामने भतीजे अजित पवार की अकड़ निकल गई और उनके बागी तेवर धरे के धरे ही रह गए।
'बाप तो बाप ही होता है'
अपने चाचा शरद पवार से राजनीति का ककहरा सीखने वाले अजित पवार का यहां फेल होना ये साबित करता है कि 'बाप तो आखिर बाप ही होता है', इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक खास बात और देखने को मिली और वो थी पवार का इमोशनल कार्ड, जो कि उन्होंने भरपूर रूप से खेला है, उनकी पार्टी और बेटी सुप्रिया सुले की ओर से अजित को मनाने की कोशिशें जारी रहीं, अजित को भरोसा दिलाया गया कि उनके साथ कुछ भी गलत नहीं होगा, उनका मान-सम्मान पहले की ही तरह पार्टी में बना रहेगा, सूत्रों के मुताबिक अजित को मनाने में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार का भी अहम योगदान रहा, प्रतिभा ने भी अजित से परिवार के साथ बने रहने को कहा, पवार ने अजित को पार्टी से बाहर नहीं निकाला, हालांकि वो लगातार अजित पवार के बयानों का खंडन करते रहे।
शरद पवार ने ऐसे किया विधायकों को एकजुट
एनसीपी के जिन विधायकों को मुंबई से फ्लाइट के जरिए दिल्ली लाया गया था उसमें से एक दौलत दरोडा ने बताया था कि हमें यह कह कर दिल्ली लाया गया था कि एनसीपी ने आधिकारिक तौर पर बीजेपी का समर्थन किया है, इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के एक होटल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की निगरानी में रखा गया था और उनका फोन भी छीन लिया गया था लेकिन काफी मशक्कत के बाद वो शरद पवार से संपर्क कर पाए जिसके बाद शरद पवार ने उन्हें वहां से निकालने का इंतजाम किया। यह पूरा घटनाक्रम ये बताने के लिए काफी है कि शरद पवार को अगर राजनीति का पितामह कहा जाता है तो वो गलत नहीं है।
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