2000 के नोट पर देवनागरी लिपि पर आपत्ति को मद्रास HC ने खारिज किया
डीएमके पार्टी से जुड़े याचिकाकर्ता केपीटी गणेश ने कहा कि नोट पर अंक देवनागरी में छपे है, जो कि आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के खिलाफ है। इस अधिनियम में देवनागरी अंकों के इस्तेमाल का कोई प्रावधान नहीं ह
चेन्नई। 2000 रुपए के नए नोट को 'अवैध' करार देने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने रद्द कर दिया है। इस याचिका में कहा गया था कि नए नोट में अंकों को दर्शाने के लिए देवनागरी लिपि का इस्तमाल किया गया है जो कि संविधान की ओर से अधिकृत नहीं है। मदुरई के रहने वाले केपीटी गणेश ने यह याचिका दायर की थी।
डीएमके पार्टी से जुड़े याचिकाकर्ता केपीटी गणेश ने कहा कि नोट पर अंक देवनागरी में छपे है, जो कि आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के खिलाफ है। इस अधिनियम में देवनागरी अंकों के इस्तेमाल का कोई प्रावधान नहीं है। गणेश ने तर्क दिया कि संघ के किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिए संविधान सिर्फ भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप के इस्तेमाल की अनुमति देता है।
गणेश ने कहा कि यद्यपि ये प्रावधान था कि संविधान लागू होने के 15 साल बाद संसद करंसी नोट पर देवनागरी अंकों का इस्तेमाल करने के लिए कानून पास कर सकती है। लेकिन इस तरह का कोई कानून पास नहीं किया गया।