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वाराणसी में तेज बहादुर को समर्थन देकर कांग्रेस खेल सकती है बड़ा दांव

By प्रेम कुमार
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लखनऊ। वाराणसी में अब गेंद कांग्रेस के पाले में है। नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ समाजवादी पार्टी ने तेज बहादुर को उम्मीदवार बनाकर चुनावी लड़ाई को मुद्दा
केन्द्रित बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस अगर अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान से हटा ले और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दे डाले, तो वाराणसी की लड़ाई नये सिरे से रोचक हो सकती है। सवाल ये है कि क्या कांग्रेस ऐसा करेगी?

कांग्रेस महागठबंधन प्रत्याशी को वाराणसी में समर्थन दे सकती है

कांग्रेस महागठबंधन प्रत्याशी को वाराणसी में समर्थन दे सकती है

वाराणसी से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन महागठबंधन ने उन्हें साझा प्रत्याशी बनाने में कोई रुचि नहीं दिखलायी। लिहाजा प्रियंका को अपने कदम वापस लेने पड़े। नरेंद्र मोदी को वाराणसी में घेरने की एक बड़ी कोशिश असफल हो गयी। महागठबंधन ने ऐसा क्यों किया, ये एक अलग प्रश्न है। समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के प्रति एक अलग नजरिया रहा है जो बहुजन समाज पार्टी के मुकाबले उदार है। यहीं पर वह सम्भावना बन जाती है कि कांग्रेस महागठबंधन प्रत्याशी को वाराणसी में समर्थन दे सकती है।

अजय राय की है जाति विशेष में पकड़

अजय राय की है जाति विशेष में पकड़

कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय निश्चित रूप से स्थानीय हैं और पूर्व विधायक हैं और जाति विशेष में उनकी पकड़ है। वे दबंग भी हैं। मगर, नरेंद्र मोदी के सामने उनकी उम्मीदवारी स्तरीय नहीं है। स्तरीय से मतलब ये है कि अजय राय के चुनाव मैदान में होने से कोई मुद्दा प्रत्याशी की वजह से पैदा नहीं होता। ऐसा कोई कारण नहीं बनता कि नरेंद्र मोदी के बजाए अजय राय को मतदाता क्यों वोट करें।

मोदी के सामने मुद्दा हैं तेज बहादुर

मोदी के सामने मुद्दा हैं तेज बहादुर

वाराणसी में नरेंद्र मोदी के विरुद्ध एक ऐसे प्रत्याशी की जरूरत थी जो मुद्दा हो। तेज बहादुर वह पूर्व सैनिक है जिसने सैनिकों की बदहाली का सवाल देश में सबसे सामने रखा। जिसने अपने अधिकारियों के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत दिखलायी। जिनके उठाए हुए मुद्दे आम लोगों को बेचैन करते दिखे। मगर, सत्ता प्रतिष्ठान उन सवालों से बेचैन नहीं हुआ। अधिकारियों के खिलाफ जो मुद्दे तेज बहादुर ने उठाए उसका खामियाजा खुद उन्हें ही भुगतना पडा। उनकी टॉर्चरिंग हुई और नौकरी भी चली गयी। तेज बहादुर व्यवस्था के विक्टिम हैं।

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मोदी से सवाल पूछने का माद्दा तेज बहादुर में

मोदी से सवाल पूछने का माद्दा तेज बहादुर में

एक ऐसे समय में जब पुलवामा और एअर स्ट्राइक के बाद नरेंद्र मोदी युवाओं से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर वोट मांग रहे हैं, उनसे सवाल करने का माद्दा तेज बहादुर में है। तेज बहादुर की उम्मीदवारी जीवंत हो जाएगी, चुनौतीपूर्ण हो जाएगी अगर कांग्रेस की ज़ुबान भी उनकी ज़ुबान के साथ हो जाए। कोई बहुत बड़ी कुर्बानी देने की जरूरत नहीं है। निश्चित हार की ओर बढ़ने वाले प्रत्याशी अजय राय को चुनाव मैदान से हटाने का फैसला करना है। हालांकि तब भी यह कहा नहीं जा सकता कि तेज बहादुर जिताऊ प्रत्याशी हो ही जाएं। मगर, इतना संदेश तो जाएगा ही कि नरेंद्र मोदी को जीतने के लिए खुला मैदान नहीं दे दिया गया है।

महागठबंधन के लिए उम्मीद की पंख बन सकती है कांग्रेस

महागठबंधन के लिए उम्मीद की पंख बन सकती है कांग्रेस

एक तर्क यह भी है कि जिस मकसद से कांग्रेस प्रियंका गांधी के लिए महागठबंधन से समर्थन की उम्मीद कर रही थीं, उसी मकसद से कांग्रेस क्यों नहीं महागठबंधन की उम्मीद में उड़ान के पंख लगाए। वाराणसी में समूचे विपक्ष का वोट नरेंद्र मोदी को मिले वोट से महज 2 लाख कम है। इस कमी को पूरा करने के लिए न सिर्फ एकजुटता की जरूरत है बल्कि एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है कि मोदी के विरोध में एक लाख वोट और जोड़ा जा सके। अगर इसकी पहल ही नहीं की जाएगी तो बात आगे बढ़ेगी कैसे? महागठबंधन के साथ रिश्ते में सुधार के लिए भी कांग्रेस यह कदम उठा सकती है। चुनाव बाद महागठबंधन के घटक दलों की जरूरत जरूर कांग्रेस को रहेगी। तब यही रिश्ता काम आएगा। उम्मीद की जा सकती है कि समाजवादी पार्टी ने जिस तरीके से अपना उम्मीदवार वाराणसी में बदला है उसका स्वागत करने कांग्रेस आगे जरूर आएगी। अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो महागठबंधन से सिर्फ समर्थन लेने की भावना रखने वाली पार्टी के तौर पर ही कांग्रेस को देखा जाएगा। यह माना जाएगा कि वह महागठबंधन के लिए अपना गैरजरूरी स्वार्थ भी छोड़ने को तैयार नहीं है।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: Congress can play big bets by supporting Tej Bahadur in Varanasi.
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