लक्षद्वीप प्रशासन का न्यायिक क्षेत्र बदलने का प्रस्ताव, केरल की जगह कर्नाटक HC करने को कहा
नई दिल्ली, जून 20: लक्षद्वीप प्रशासन जो अपनी कुछ नीतियों को लेकर लोगों के व्यापक विरोध का सामना कर रहा हैं। उसने अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र को केरल हाई कोर्ट से कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा है। प्रशासन की ओर से कानूनी अधिकार क्षेत्र का प्रस्ताव ऐसे वक्त में आया है, जब लक्षद्वीप के नए प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल की ओर से लिए गए फैसलों के खिलाफ केरल हाई कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
केरल कोर्ट में दाय की गई इन याचिकाओं में कोविड के उचित व्यवहार के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करना, गुंडा अधिनियम की शुरुआत और सड़कों के चौड़ीकरण के लिए मछुआरों की झोपड़ियों को ध्वस्त करना शामिल था। दरअसल, दमन-दीव के प्रशासक पटेल को पिछले साल दिसंबर के पहले हफ्ते में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, उनको यह जिम्मेदारी पूर्व प्रशासक दिनेश्वर शर्मा का बीमारी के बाद निधन के बाद मिली। जिसके बाद इस साल लक्षद्वीप प्रशासक के खिलाफ, पुलिस और स्थानीय सरकार की कथित मनमानी के खिलाफ 11 रिट याचिकाओं सहित 23 आवेदन दायर किए गए हैं।
हालांकि, लक्षद्वीप प्रशासन अच्छी तरह से जानता है कि इन मुद्दों को लेकर वो सुर्खियों में है। इसलिए अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र को केरल उच्च न्यायालय से कर्नाटक में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया है। प्रशासक के सलाहकार ए अनबारसु और लक्षद्वीप के कलेक्टर एस अस्कर अली से इस मामले में कोई टिप्पणी सामने नहीं आई हैं। उनके आधिकारिक ई-मेल और व्हाट्सएप संदेशों का काई जवाब नहीं आया है।
एक उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को कानून के अनुसार केवल संसद के कानून के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 241 के अनुसार संसद के कानून द्वारा एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक उच्च न्यायालय का गठन कर सकती है या ऐसे क्षेत्र में किसी भी अदालत को इस संविधान के सभी या किसी भी उद्देश्य के लिए उच्च न्यायालय घोषित कर सकती है। हालांकि उसी अनुच्छेद की धारा 4 में उल्लेख किया गया है कि ऐसा कुछ नहीं है कि राज्यों के उच्च न्यायालय के न्यायाधिकार क्षेत्र में संशोधन आदि के बारे में संसद के अधिकार को कम करता हो।
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वहीं पीटीआई से बात करते हुए लक्षद्वीप से लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल पीपी ने कहा कि यह केरल से कर्नाटक में न्यायिक अधिकार क्षेत्र को स्थानांतरित करने का उनका (पटेल) पहला प्रयास था। वह इसे स्थानांतरित करने के लिए इतना खास क्यों थे ... यह पूरी तरह से पद का दुरुपयोग है। यहां के लोगों की मातृभाषा मलयालम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि उच्च न्यायालय का नाम केरल और लक्षद्वीप उच्च न्यायालय है। वहीं अगर ऐसा कुछ किया तो संसद के साथ-साथ न्यायपालिका में भी इसका जोरदार विरोध करेंगे।