चीन सीमा विवाद: लद्दाख में चल रहा गतिरोध निर्णायक दौर में, भारत सावधानी से बढ़ा रहा कदम
नई दिल्ली: पिछले छह महीने से लद्दाख में एलएसी पर विवाद जारी है। 6 नवंबर को चुशुल में कोरो कमांडर लेवल की 8वें दौर की वार्ता हुई थी। जिसमें थोड़ी बहुत सहमति बनती नजर आ रही है। हालांकि भारत चीन की चालाकियों से वाकिफ है, जिस वजह से सोच-समझकर कदम आगे बढ़ाया जा रहा है। पहले भी चीन कई बार बातचीत में उलझाकर धोखा दे चुका है।
रक्षा सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि दोनों पक्षों के अगले कुछ दिनों में घर्षण बिंदुओं से कुछ अलग होने की संभावना है और वे चरणबद्ध तरीके से ऐसा करने के तौर तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय पक्ष चीन की चालाकियों को पहले से ही जानता है, जिस वजह से इस मामले पर सावधानी से आगे बढ़ रहा है। साथ ही कोशिश है कि जो समझौता हो वो पूरी तरह से जमीनी स्तर पर लागू हो।
दरअसल जून में भी जब बातचीत हो रही थी तो गलवान में चीनी और भारतीय पक्ष में संघर्ष हुआ था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। साथ ही बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों में जो विचार-विमर्श हो रहा है, उसमें टैंक और बख्तरबंद वाहनों को पीछे करना भी शामिल है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस दिशा में दोनों ओर से जल्द बात आगे बढ़ेगी।
चीन बोला- उसने कभी भी अन्य देशों के मामलों में नहीं किया हस्तक्षेप
क्या
है
आधिकारिक
बयान?
वहीं
चुशुल
में
बातचीत
के
बाद
भारत
सरकार
ने
अधिकारिक
बयान
जारी
किया
था।
जिसमें
कहा
गया
कि
दोनों
पक्ष
इस
बात
के
लिए
सहमत
हुए
हैं
कि
दोनों
सेना
अपने
सीमावर्ती
सैनिकों
को
संयम
बरतने
और
उन्हें
गलतफहमी
से
बचने
के
लिए
कहेंगी।
इसके
बाद
जल्द
ही
अगले
दौर
की
बैठक
दोनों
देशों
के
बीच
होगी।
बयान
के
मुताबिक
भारत-चीन
सीमा
क्षेत्रों
के
पश्चिमी
क्षेत्र
में
वास्तविक
नियंत्रण
रेखा
के
साथ-साथ
दोनों
पक्षों
ने
एक
स्पष्ट,
गहन
और
रचनात्मक
विचारों
का
आदान-प्रदान
किया
है।