किरण रिजिजू के भाई ने कहा- भैया का हेल्प चाहिए तो हमको बोलिए...
केंद्रीय मंत्री ने अपनी सफाई में कहा कि गोबोई से उनका कोई नाता नहीं है। वह दूर के रिश्ते का भाई है। उन्होंने कहा कि जो भी पत्र ऊर्जा मंत्रालय को लिखे गए हैं वो सिर्फ 'गरीबों की मदद' के लिए थे।
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश हाइड्रो प्रोजेक्ट में अपने भाई गोबोई रिजिजू का नाम आने के बाद केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने उनसे किनारा कर लिया है। गोबोई, पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी में ठेदेदार है। कंपनी पर काम पूरा करने के दौरान फर्जी बिल देकर पैसे वसूलने का आरोप है। इस बीच सामने आई एक बातचीत की रिकॉर्डिंग केंद्रीय मंत्री की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
केंद्रीय मंत्री ने अपनी सफाई में कहा कि गोबोई से उनका कोई नाता नहीं है। वह दूर के रिश्ते का भाई है। उन्होंने कहा कि जो भी पत्र ऊर्जा मंत्रालय को लिखे गए हैं वो सिर्फ 'गरीबों की मदद' के लिए थे, जो नॉर्थ ईस्टर्न पावर कॉर्पोरेशन (NEEPCO) में काम कर रहे हैं।
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फोन
कॉल
में
गहरे
रिश्ते
होने
की
बात
फोन
कॉल
में
हुई
बातचीत
गोबोई
रिजिजू
और
NEEPCO
के
विजिलेंस
ऑफिसर
सतीश
वर्मा
के
बीच
की
है,
जिन्होंने
निर्माण
कार्य
की
जांच
की
थी।
बातचीत
में
मंत्री
और
ठेकेदार
के
बीच
गहरे
रिश्ते
होने
की
बात
सामने
आई
है।
पैसे
ट्रांसफर
करने
का
दबाव
डाला
दिसंबर
2015
में
हुई
29
मिनट
की
बातचीत
में
गोबोई
ने
कई
बार
किरण
रिजिजू
का
नाम
दोहराया।
वह
उन्हें
'भैया'
कहकर
बुलाता
है।
उसने
17
बार
पटेल
इंजीनियरिंग
के
खाते
में
पैसे
ट्रांसफर
करवाने
का
दवाब
डाला।
दोनों
ने
यह
स्वीकार
भी
किया
है
कि
वे
चचेरे
भाई
हैं।
वर्मा
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
ऑडियो
क्लिप
भी
लगाई
थी।
सनी लियोन ने कहा- पॉर्न इंडस्ट्री के मुकाबले बॉलीवुड में करने पड़ते हैं ज्यादा समझौते
गोबोई रिजिजू के मुताबिक जिन 'गरीब लोगों' की मदद के नाम पर कुछ हजार रुपयों के लिए केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय को चिट्ठी लिखी वे दरअसल ठेकेदार थे। जिनका पटेल इंजीनियरिंग से 30 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का बकाया था।
मामले की जांच कर रहे अधिकारी सतीश वर्मा ने पाया कि सितंबर 2015 में जिन लोगों के कहने पर किरण रिजिजू ने मंत्रालय को चिट्ठी लिखी और उन्हें ग्राम पंचायत सदस्य बताया दरअसल वे सब ठेकेदार थे और गोबोई के साथ थे।
गोबोई
रिजिजू
की
बातचीत
कुछ
ऐसी
थी-
'लोकल
आदमी
को
वहां
पर
बहुत
समस्या
हो
रही
है।
NEEPCO
पेमेंट
हीं
कर
रहा
है
बोल्डर
सप्लाई
का।
वहां
तीन
जनजातियों
के
लोगों
ने
बोल्डर
सप्लाई
किया।
किरण
भैया
ने
पटेल
को
काम
रोकने
के
लिए
कहा
जिसके
बाद
15-20
दिन
तक
काम
बंद
रहा।
बाद
में
स्थानीय
लोग
दिल्ली
गए
और
किरण
भैया
से
मिले
जिसके
बाद
उन्होंने
कहा
कि
प्रोजेक्ट
बंद
नहीं
होगा
क्योंकि
ये
2017,
2016
के
लास्ट
में
कमिशन
करना
है।
जो
समस्या
होगी
हम
बोल
देंगे।
उसी
के
बाद
काम
खुला।
बीच
में
बंद
था।'
लड़कियों के हस्तमैथुन पर एक भाई ने लिखा खुला खत, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
पैसे
देने
में
भी
गड़बड़ी
मामले
की
जांच
कर
रहे
अधिकारी
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
बताया
कि
पटेल
इंजीनियरिंग
ने
NEEPCO
से
60
रुपये
प्रति
किलोमीटर
प्रति
क्यूबिक
मीटर
के
हिसाब
से
पैसा
लिया
लेकिन
ठेकेदारों
को
20
रुपये
प्रति
किलोमीटर
के
हिसाब
से
पैसा
दिया।
गोबोई ने वर्मा पर भी दवाब डालने की कोशिश की कोशिश की। उसने कहा, 'आपका प्रमोशन होने वाला है? कोई प्रॉब्लम हो तो बताइए। हमको बोल दीजिए। हम उधर भी बोल देंगे जल्दी करने के लिए। मेरा नंबर आप ले लीजिए। भैया के लायक कोई भी काम हो आप हमको बोलिए।'