केरल: 17 साल की बेटी ने बीमार पापा को लीवर का हिस्सा दान कर बचाई जान, लोग बोले- सेल्यूट है इस बिटिया को
केरल के त्रिशूर की एक बेटी ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपने लीवर का हिस्सा दान किया है सोशल मीडिया पर उसकी जमकर तारीफ हो रही है।
बेटी और पिता के रिश्ते जैसा दुनिया में कोई और रिश्ता नहीं है। जिन बेटियों को पराए घर की अमानत कहा जाता है वो ही बेटी अगर पिता को जरा सी तकलीफ में देखती तो उसकी आंखे सबसे पहले नम हो जाती है और अगर पिता की जान पर बन आए तो उन्हें बचाने के लिए वो अपनी जान की बाजी तक लगा देती हैं। ऐसी ही एक बेटी इन दिनों सुर्खियों में है जिसने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपने शरीर का बेहद जरूरी अंग का एक हिस्सा हंसते-हंसते दान कर दिया और उन्हें नया जीवन दान दिया।
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कोई लीवर डोनर नहीं मिल रहा था
पापा की ये लाडली बेटी केरल के त्रिशूर की रहने वाली है जिसके पिता का कैंसर की बीमारी की वजह से पूरा लीवर खराब हो गया था। उन्हें डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। उनकी जान बचाने के लिए कोई लीवर डोनर नहीं मिल रहा था और दिन पर दिन उनकी हालत खराब होती जा रही थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था और कहा था कि अगर लीवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो उन्हें बचाया नहीं जा सकेगा।
पिता को लीवर डोनेट करने के लिए लड़ी कानूनी लड़ााई
पिता की जान बचाने के लिए 17 साल की बेटी ने अपने लीवर का हिस्सा दान करने का जब फैसला घर वालों को सुनाया तो सब लोग चकित हो गए। वहीं पिता भी अपनी बेटी की जान जोखिम में डालना नहीं चाहते थे, लेकिन उसने किसी की ना सुनी और अंत में अपने पिता और परिवार वालों को इसके लिए मना लिया। चूंकि नाबालिग होने के कारण कानून अंगदान की परमीशन नहीं देता है इसके लिए उसने कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
पिता को लिवर दान करने वाली देवांनंदा ने क्या कहा
कोर्ट में जीत हासिल करने के बाद त्रिशूर की इस बेटी ने बीती 7 फरवरी को अपने बीमार पिता को बचाने के लिए अपने लिवर का एक हिस्सा दान कर दिया। इस बेटी का नाम देवानंदा है। देवानंदाा ने कहा "मैं अपने पिता की जान बचाने के लिए यह किया है। इस बीमारी के दौरान हमने बहुत कुछ सहा है। किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े।"
ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टरों ने बोली ये बात
देवानंद के पिता का सफल लीवर ट्रांसप्लांट राजागिरी अस्पताल में मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्विस के प्रमुख रामचंद्रन नारायणमेनन ने किया। उनहोंने कहा देवानंद को कोई बड़ी समस्या नहीं है। उनके पिता भी ठीक हो रहे हैं। केरल में कुछ वर्षों में ब्रेन-डेड लोगों के अंगों का दान कम हुआ है इसकी के चलते उन्होंने अपने पिता को बचाने के लिए अंग दान किया।