27 साल की लड़की को दिया कांग्रेस ने टिकट, रोकनी पड़ी शादी
तिरुवनंतपुरम। नाम- अरिथा बाबू। उम्र -27 साल। केरल की कायमकुलम सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार। शिक्षा- सोशल वर्क में पोस्ट ग्रेजुएशन। कॉमर्स से मास्टर डिग्री की पढ़ाई जारी। पेशा- दूध बेचना। कांग्रेस ने अरिथा बाबू को अपनी राजनीति का रोल मॉडल बताया है। कांग्रेस अपने चुनावी अभियान में अरिथा बाबू को एक प्रेरणादायी शख्सियत के रूप में पेश कर रही है। कायमकुलम विधानसभा सीट पर अरिथा का मुकाबला सीपीएम की उम्मीदवार यू. प्रतिभा से है। प्रतिभा सीटिंग विधायक हैं और वे भी सीपीएम की युवा (43) नेता हैं। अरिथा जब 21 साल की थीं तब जिला पंचायत की सदस्य चुनी गयीं थीं। उस समय वे सबसे कम उम्र की जिला पंचायत सदस्य थीं। 27 साल अरिथा के कंधों पर घर चलाने की जिम्मेवारी भी है। वह जिस मुस्तैदी से घर और राजनीति के बीच तालमेल बैठाती हैं वह काबिले तारीफ है। माता-पिता अरिथा की शादी की तैयारियों लगे थे। लेकिन अब चुनाव को देख कर विवाह कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है।
युवा चेहरों पर भरोसा
केरल में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लग रख है। इसके लिए उसने उम्मीदवारों के चयन की नीति बड़ा बदलाव किया है। वह अधिक से अधिक युवा और नये चेहरों को मैदान में उतार कर वोटरों का भरोसा जीतना चाहती है। उसने 86 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमें 44 पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यानी उसने 55 फीसदी टिकट पॉलिटिकल डेब्यू करने वाले उम्मीदवारों को दिये हैं। यह एक बहुत बड़ा दांव है। केरल कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी से मुक्ति पाने के लिए भी कांग्रेस ने ये दांव खेला है। पुराने नेताओं के आपसी झगड़े से पार्टी की छवि खराब हो रही थी। जनता में गलत संदेश जा रहा था। इसलिए पार्टी ने फैसला किया कि युवा और काबिल उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर चुनावी पारी को नये सिरे से जमाया जाय। अरिथा की तरह ही कांग्रेस ने 27 साल के ही केएम अभिजीत को कोझीकोड उत्तर सीट से उम्मीदवार बनाया है। अरिथा और अभिजीत दोनों ही केरल स्टूडेंट यूनियन की राजनीति से चुनावी मैदान में कूदे हैं।
क्यों है अरिथा की चर्चा ?
अरिथा एक साधारण परिवार से आती हैं। अरिथा के पिता तुलसीधरण को दिल की बीमारी है। कुछ साल पहले जब पिता की बीमारी का पता चला तो अरिथा के कंधों पर परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी भी आ गयी। वे कॉलेज में पढ़तीं, छात्र की संघ की राजनीति करतीं और परिवार का पेट भरने के लिए कारोबार भी करतीं। पैसा कमाने के लिए उन्होंने गौपालन शुरु किया। सुबह चार बजे उठती हैं। गौशाला में जा कर गायों को दानापानी देती हैं। दूध दूहती हैं। फिर वे खुद ही 15 घरों में जा कर दूध पहुंचा भी देती हैं। सुबह के छह बजते- बजते उनका व्यवसायिक काम पूरा हो जाता है। आसपास के लोग जब तक बिस्तर में दुबके रहते हैं तब तक अरिथा व्यवसायिक जिम्मेदारियां पूरा कर चुकीं होती हैं। इसके बाद एक नयी अरिथा सामने आती हैं। पढ़ी-लिखी और एक ऊर्जावान नेता। वे पोस्ट ग्रेजुएशन (सोशल वर्क) की एक डिग्री ले चुकी हैं। दूसरी मास्टर डिग्री (कॉमर्स) के लिए अभी भी पढ़ाई कर रही हैं। जब जिला पंचायत की सदस्य थीं तब उनकी राजनीति सक्रियता से जिले के अफसर हैरान रहते थे। अरिथा अभी प्रखंड युवा कांग्रेस की महासचिव हैं।
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उम्मीदवार बनते ही रुक गयी शादी की तैयारी
अरिथा बाबू का कहना है, मेरी जैसी साधारण लड़की के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार बनना बहुत गौरव की बात है। पहले मुझे प्रखंड और जिला स्तर के लोग जानते थे। लेकिन पूरे केरल में मुझे एक नयी पहचान मिली है। मैंने जिला पंचायत प्रतिनिधि के रूप में अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए काम किया है। अपने और आसपास के लोगों के जीवन संघर्ष को संजीदगी से महसूस किया है। अगर मुझे चुनाव में जनता का समर्थन मिलता है तो मैं बदलाव के लिए जीतोड़ मेहनत करूंगी। अरिथा के उम्मीदवार बनने से पहले उनके पिता तुलसीधरण और मां आनंदावल्ली अपनी बेटी की शादी तैयारियों में व्यस्त थे। उनकी मां मुहुर्त के हिसाब से इस साल जल्द ही उनकी शादी कर देना चाहती थीं। घर में इसके लिए खरीदारी भी शुरू हो गयी थी। अरिथा जैसी पढ़ी-लिखी, जहीन और मेहनती लड़की के लिए एक से एक अच्छे रिश्ते आ रहे हैं। लेकिन जैसे ही उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई शादी के कार्यक्रम को रोक दिया गया। अरिथा ने कहा, अब मेरी पहली प्रथामिकता कायमकुलम की जनता है। शादी तो मैं कुछ समय बाद भी कर सकती हूं। अरिथा के माता-पिता ने भी उनके इस फैसले का समर्थन किया है।
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