बोर्ड की परीक्षाओं में 95% छात्र, अलगाववादियों को मुंहतोड़ जवाब
जम्मू कश्मीर में बोर्ड परीक्षाओं का आगाज और छात्रों में नजर आया परीक्षा का जोश। पहले दिन 95% छात्रों ने दर्ज कराई परीक्षा में उपस्थिति।
श्रीनगर। हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी को अशांति और कर्फ्यू की आग में झोंकने वाले अलगाववादी नेताओं के मुंह पर यहां के छात्रों ने तमाचा मारा है। सोमवार से जम्मू कश्मीर बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुई हैं और पहले दिन 95% छात्रों ने उपस्थिति दर्ज कराई। छात्रों ने साबित कर दिया कि पेन में पत्थर से ज्यादा ताकत होती है।
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मंगलवार से 10वीं की परीक्षाएं
जम्मू कश्मीर में सोमवार से 12वीं की परीक्षाएं शुरू हुई हैं और करीब 32,000 छात्र इस बार परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
कहीं न कहीं छात्रों की उपस्थिति यह दिखाती है कि उन्होंने तय कर लिया था कि वे किसी भी हालत में परीक्षा देकर रहेंगे।
मंगलवार यानी 15 नवंबर से 10वीं की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इस बार 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं में करीब 50,000 छात्रों के शामिल होने की उम्मीदें हैं।
जम्मू कश्मीर सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं को दो सत्र में कराने का फैसला किया है।
एक सत्र नवंबर में है तो एक मार्च में होगा। 12वीं के छात्र अली ने कहा कि उसने इसी सत्र में हिस्सा लेने का फैसला किया क्योंकि उसे नहीं मालूम कि मार्च में क्या होगा।
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रात भर लगाई जा रही है गश्त
पिछले पांच माह के दौरान घाटी के 32 स्कूलों को जला दिया गया है। 12 वीं की परीक्षाओं के लिए घाटी में 484 केंद्र तो 10वीं की परीक्षाओं के लिए 545 केंद्र बनाए गए हैं।
इन सारे केंद्रों पर पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज डेप्लॉयड कर दी गई हैं। रात भर सुरक्षाबल और नॉन-टीचिंग स्टाफ के लोग स्कूलों के आसपास गश्त लगाते हैं ताकिक घाटी में अब कोई स्कूल निशाना न बनने पाए।
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पीएम मोदी ने कींं कई मीटिंंग
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी परीक्षाओं के दौरान पूरी सुरक्षा मुहैया कराई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल के साथ कई मीटिंग इस मुद्दे पर की थीं।
इसके बाद पूरा खाका तैयार किया गया और फिर राज्य सरकार को परीक्षाओं से जुड़े जरूरी निर्देश दिए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बात सुनिश्चित करना चाहते थे कि किसी भी तरह से परीक्षाओं को सही तरीके से संचालित किया जाए और किसी भी तरह की बाधा न आने पाए। सूत्रों की ओर से बताया गया है कि कई तरह की कोशिशें की गई थीं कि
इन परीक्षाओं को न होने दिया जाए। लेकिन सरकार, सुरक्षाबलों और छात्रों के साथ ही उनके अभिभावकों इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए आगे आए थे।
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अलगाववादियों ने दी धमकी
अलगाववादियों ने इन परीक्षाओं का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि परीक्षाओं की सफलता से संदेश जाएगा कि घाटी में सबकुछ ठीक है और वे किसी भी तरह से इस कोशिश को सफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने इस प्रक्रिया को असफल बनाने की कोशिशें भी कीं। सरकार ने सोमवार से शुरू हुईं परीक्षाओं से पहले एक फूलप्रूफ व्यवस्था की थी।
कुछ परीक्षा केंद्र जो संवेदनशील इलाकों में हैं, उन्हें रि-लोकेट किया गया। इसके अलावा निषेधाज्ञा लागू है।
राज्य के शिक्षामंत्री नईम अख्तर ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है उन्हें इस बात का भरोसा है कि बच्चों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में लोगों की मदद काम आएगी।
उन्होंने अपील की कि इन बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अपना योगदान दीजिए।