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#KarnatakaFloorTest: हार कर भी कैसे भाजपा से सत्ता छीनने में कामयाब हुई कांग्रेस, जानें पर्दे के पीछे की कहानी

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नई दिल्ली। कर्नाटक में चुनाव नतीजों के बाद से शुरू हुआ सियासी घमासान अब थमता दिख रहा है। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले जिस तरह से सीएम बीएस येदुरप्पा ने इस्तीफे का ऐलान किया इससे साफ हो गया कि बीजेपी बहुमत से दूर रह गई। महज ढाई दिन में ही येदुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ अब तय हो गया कि कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस सरकार बनाएगी। इस बात का दावा कांग्रेस-जेडीएस चुनाव नतीजों के बाद से ही कर रहे थे। भले ही विधानसभा में कांग्रेस पार्टी हार गई हो, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने जिस तरह से ऐन वक्त पर तुरंत फैसले लिए, इसका सीधा असर नजर आया और सबसे ज्यादा 104 सीटें जीतकर भी बीजेपी सत्ता तक पहुंचने में नाकाम रह गई। आखिर कर्नाटक में कैसे घटा पूरा सियासी घटनाक्रम...

चुनाव नतीजों से पहले एक्टिव हुई कांग्रेस

चुनाव नतीजों से पहले एक्टिव हुई कांग्रेस

कर्नाटक में सबसे ज्यादा सीटें जीत कर भी जिस तरह से बीजेपी को सत्ता से दूर होना पड़ा, इसमें सबसे अहम रोल कांग्रेस के रणनीतिकारों का रहा। दरअसल कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के साथ ही कांग्रेस आलाकमान ने अपने दिग्गज नेताओं गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को बेंगलुरू भेज दिया। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव नतीजों पर नजरें गड़ाए रखी। जैसे ही नतीजों में पार्टी को लगा कि वो पिछड़ सकते हैं तुरंत ही कर्नाटक में बैठक का दौर शुरू हो गया।

बिना शर्त जेडीएस को समर्थन देने का चला दांव

बिना शर्त जेडीएस को समर्थन देने का चला दांव

कर्नाटक को लेकर कांग्रेस पार्टी शुरू से ही गंभीर थी। यही वजह है कि पार्टी ने नतीजों के तुरंत बाद ही बिना शर्त जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं इससे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव नतीजों की जानकारी सोनिया गांधी को दी। साथ ही आगे की रणनीति पर भी चर्चा की। सोनिया गांधी से ही बातचीत के बाद पार्टी आलाकमान ने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन का ऐलान कर दिया।

कांग्रेस ने गोवा-मणिपुर से सबक लेते हुए उठाया कदम

कांग्रेस ने गोवा-मणिपुर से सबक लेते हुए उठाया कदम

गोवा, मणिपुर में जिस तरह से कांग्रेस सबसे पार्टी होते हुए भी सत्ता से दूर रही, इससे सबक लेते हुए इस बार कांग्रेस आलाकमान बिना देर किए फैसले लिए। पार्टी ने जेडीएस के कुमारस्वामी को सीएम के तौर पर स्वीकार किया, समर्थन का ऐलान कर दिया। साथ ही सभी नतीजे आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने जेडीएस के साथ मिलकर सबसे पहले राज्यपाल के पास समर्थन का दावा भी पेश किया। कांग्रेस के 78 और जेडीएस के 38 विधायकों मिलाकर बहुमत का आंकड़ा पूरा हो रहा था। हालांकि राज्यपाल ने कांग्रेस-जेडीएस की जगह 104 सीटों वाली बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।

विधायकों को टूटने से बचाने के लिए बस से भेजा हैदराबाद

विधायकों को टूटने से बचाने के लिए बस से भेजा हैदराबाद

कर्नाटक में जैसे ही बीजेपी को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया, दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक सियासी घमासान तेज हो गया। कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूट से बचाने की कवायद शुरू की। सबसे पहले सभी नए जीत कर आए विधायकों को सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया। पहले उन्हें बेंगलुरू के ईगलटन रिजॉर्ट में रखा गया, हालांकि जब वहां से पुलिस सुरक्षा हटा ली गई तो उन्हें हैदराबाद के ताज कृष्णा होटल शिफ्ट कर दिया गया। इस दौरान कांग्रेस के बड़े नेता विधायकों के साथ ही थे। पार्टी की कोशिश कांग्रेस विधायकों को टूट से बचाने की थी।

राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

कर्नाटक में राज्यपाल ने जैसे ही येदुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया तुरंत ही कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। रात में ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, हालांकि येदुरप्पा का शपथ ग्रहण नहीं टल सका। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई हुई। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के लिए शनिवार शाम 4 बजे का समय तय किया। इससे पहले राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए येदुरप्पा को 15 दिन का समय दिया था। हालांकि शनिवार को फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम येदुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ कांग्रेस की रणनीति सफल रही।

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English summary
Karnataka Floor Test: complete analysis of How Congress defeated BJP and amit shah within 55 hours during trust vote.
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